14 जुलाई को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करी प्रोटेस्टर्स को शांत रखने के लिए पर उन्होंने एक ऐसी चीज कही प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जिसने सिचुएशन को और बिगाड़ दिया उनकी टीम ने उनको कल दोपहर 1:30 बजे बताया कि उनकी सिक्योरिटी खतरे में है और उनको अपना आलीशान बंगला इमीडिएट छोड़ना होगा रिसेंट इयर्स में पॉलिटिकल इंस्टेबिलिटी हर जगह है चाहे वह श्रीलंका हो पाकिस्तान हो अफगानिस्तान हो मियन मर हो और अब बांग्लादेश हो इसलिए वह लोग जो कह रहे हैं कि बांग्लादेश में एक प्रो डेमोक्रेसी रेवोल्यूशन आ गया है उनको सोचने की जरूरत है रेवोल्यूशन आया या फिर नहीं यह डिपेंड करता है कि अगली बार कुर्सी पर बैठेगा यह वो मोमेंट है जब बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना बांग्लादेश को छोड़कर भाग रही थी उनकी टीम ने उनको कल दोपहर 1:30 बजे बताया कि उनकी सिक्योरिटी खतरे में है और उनको अपना आलीशान बंगला इमीडिएट छोड़ना होगा वो एक स्पीच रिकॉर्ड करना चाहती थी और पैकिंग करना चाहती थी पर 'कोई टाइम था ही नहीं उनकी और उनकी बहन ने एक एयरफोर्स हेलीकॉप्टर बोर्ड किया और वह बांग्लादेश छोड़कर इंडिया आई जहां वह मिली इंडिया के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत दबल से और जो उसके बाद हमें वीडियो क्लिप्श देखने को मिली वो ऑलमोस्ट मानो कार्बन कॉपी थी जो कुछ साल पहले श्रीलंका में हुआ था प्रोटेस्टर्स प्राइम मिनिस्टर के बंगलों के अंदर घुस गए उन्होंने पार्लियामेंट ऑक्यूपाइड भी उधर से चुराई चाहे वो क्रॉकरी हो या फिर मछली शेख मुजीबुर रहमान जिन्होंने बांग्लादेश को फ्रीडम दिलाया था और जो शेख हसीना के पिताजी थे उनका स्टैचू भी गिराया गया तो प्राइम मिनिस्टर शेख हसीना ने भला ऐसा किया क्या जिसकी वजह से उनको अपना देश छोड़ना पड़ा मैं आपको बताऊंगा इस 1 जुलाई 2024 को बांग्लादेश में कई स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट करने लगे थे रोड्स और रेलवे लाइंस को ब्लॉक करके वो प्रोटेस्ट कर रहे थे बांग्लादेश हाई कोर्ट के कोर्ट ऑर्डर के खिलाफ जो पास हुआ था 5th जून 2024 को इस ऑर्डर ने एक कंट्रोवर्शियल कोटा सिस्टम वापस से रिइंट्रोड्यूस कर दिया था बांग्लादेश में अब भला ये कोटा सिस्टम था क्या यह आप तभी समझ पाओगे जब आप समझोगे बांग्लादेश की मूवमेंट 1947 की पार्टीशन के बाद बांग्लादेश को ईस्ट पाकिस्तान बुलाया जाता था और वो पाकिस्तान का एक हिस्सा था क्योंकि पाकिस्तान का बंटवारा रिलीजस लाइंस पर हुआ था और ईस्ट पाकिस्तान मुस्लिम मेजॉरिटी था इस वजह से वो पाकिस्तान का ही हिस्सा था उनका मानना था कि पाकिस्तान क्योंकि मुस्लिम मेजॉरिटी है इसलिए ईस्ट हो या फिर वेस्ट सब एक साथ मिलकर रहेंगे पर ऐसा हुआ नहीं ईस्ट पाकिस्तानी के खिलाफ डिस्क्रिमिनेशन ईस्ट पाकिस्तान में भले ही ज्यादा लोग थे पर ज्यादा पैसा वेस्ट पाकिस्तान में खर्च हो रहा था ईस्ट पाकिस्तान में बोली जाती थी बंगाली भाषा पर उर्दू ईस्ट पाकिस्तान और वेस्ट पाकिस्तान दोनों की ऑफिशियल लैंग्वेज बना दी गई तो जो डिस्क्रिमिनेशन की ये फीलिंग थी ये धीरे-धीरे उबल रही थी फिर 1970 में दो चीजें हुई साइक्लोन भोला ने ईस्ट पाकिस्तान को तहस नहस कर दिया तीन से 5 लाख लोग मारे गए पर वेस्ट पाकिस्तान ने बहुत कम कम मदद करी एक महीने बाद फिर पाकिस्तान में पहले जनरल इलेक्शंस हुए नेशनल असेंबली में वे पाकिस्तान में थी करीब 138 सीट्स और ईस्ट पाकिस्तान में थी 162 सीट्स मेनली इलेक्शन में दो पॉलिटिकल पार्टीज थी वेस्ट पाकिस्तान में बेस जुल्फिकार अली भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी और ईस्ट पाकिस्तान में बेस शेख मुजीबुर रहमान की आवामी लीग अब शेख मुजीबुर रहमान बहुत बड़े लीडर थे ईस्ट पाकिस्तान में उन्होंने कई बार लोगों को बताया कि कैसे वेस्ट पाकिस्तान उनको दबा रहा है उनकी भाषा को दबा रहा है और उनको पैसे भी नहीं दे रहे है अब ये हालात थे जब 1970 के जनरल इलेक्शंस हुए और जब रिजल्ट्स आए तो वेस्ट पाकिस्तान के लीडर्स शौक हो गए आवामी लीग ने 162 में से 160 सीट जीत ली ईस्ट पाकिस्तान की जबकि पीपीपी ने वेस्ट पाकिस्तान की 138 में से 81 सीट जीत ली जिसका मतलब था कि नेशनल असेंबली में आवामी लीग एक गवर्नमेंट बनाएगी यानी कि पहली बार पॉलिटिकल पावर ईस्ट पाकिस्तान में होगी पर वेस्ट पाकिस्तान के लीडर्स ने यह करने से मना कर दिया याया खान और पाकिस्तान की मिलिट्री ने आवामी लीग की विक्ट्री को रिकॉग्नाइज करने से ही मना कर दिया जिसकी वजह से ईस्ट पाकिस्तान में शेख मुजीबुर रहमान ने एक सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट स्टार्ट करी 7थ मार्च 1971 को ढाका के रेस कोस ग्राउंड में मुजीबुर रहमान एक आइकॉनिक स्पीच दी बांगलादेश बांग्लादेश स्वाधीन कर स्वाधीन उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के बंगाली लोगों को एकजुट रहना होगा और उन्होंने एक आजाद पाकिस्तान में उन्होंने कई बार लोगों को बांग्लादेश की मांग करी 25th मार्च 1971 को वेस्ट पाकिस्तान की फोर्सेस ने ईस्ट पाकिस्तान में इवेडर दिया इन प्रोटेस्ट को दबाने के लिए वेस्ट पाकिस्तान की फोर्सेस ने एक ऑपरेशन सर्च लाइट स्टार्ट किया जहां कई सिविलियंस मारे गए जिसके बाद एक रेजिस्टेंस फोर्स स्टार्ट हुई बांग्लादेश में इस फोर्स का नाम था मुक्ति वाहिनी इस ग्रुप में कई फॉर्मर आर्मी लीडर्स और सिविलियंस मौजूद थे जिनको सपोर्ट दिया गया इंडियन सरकार से मुक्ति वाहिनी और इंडियन आर्मी ने वेस्ट पाकिस्तान की फोर्सेस को हरा दिया और 1971 में बांग्लादेश आजाद हुआ आवामी लीग के शेख मुजीबुर रहमान जो फ्रीडम मूवमेंट के चेहरे थे वह बांग्लादेश के पहले प्राइम मिनिस्टर बने और अब आती है कोटा की बात जब बांग्लादेश को आजादी मिली तो शेख मुजीबुर रहमान ने एक वादा किया कि वो लोग जिन्होंने आजादी दिलाई बांग्लादेश को और उन महिलाओं को जिनको अत्याचार सहने पड़े थे वेस्ट पाकिस्तान की आर्मी से उनको एक स्पेशल कोटा दिया जाएगा सिविल सर्विस में इनिशियल कोटा सिस्टम में 30% पर जॉब्स फ्रीडम फाइटर लिए रिजर्व थी 10 पर उन महिलाओं के लिए जिनको आजादी के दौरान अत्याचार सहने पड़े थे और 40% पर उन लोगों के लिए जो बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट से थे अब बांग्लादेश को आजादी मिली थी 1971 में पर 2025 साल बाद यह कोटा सिस्टम डाइल्यूट होता गया क्योंकि कई फ्रीडम फाइटर्स की मौत हो गई थी इसी वजह से 1997 में कोटा सिस्टम चेंज कर दिया गया अब फ्रीडम फाइटर्स के बच्चों को भी कोटा दिया जाएगा और 2010 में एक और चेंज लाया गया अब फ्रीडम फाइटर्स के ग्रैंड चिल्ड्रन को भी कोटा दिया जाएगा इसका मतलब था कि अब 56% पर जॉब्स डिफरेंट लोगों के लिए रिजर्व थी 30% पर फ्रीडम फाइटर्स के बच्चे और ग्रैंड चिल्ड्रन के लिए 10% पर महिलाओं के लिए 10% पर बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट्स के लिए 5 पर एथनिक माइनॉरिटी के लिए और 1% पर उन लोगों के लिए जिनमें फिजिकल डिसेबिलिटीज है तो यानी कि बस 44% पर सरकारी जॉब्स मेरिट बेस थी और इसी वजह से 2018 में देश भर में स्टूडेंट प्रोटेस्ट स्टार्ट हुई क्योंकि वो इस कोटा सिस्टम में चेंज लाना चाहते थे स्टूडेंट्स का का गुस्सा मेनली था कि 30% पर जॉब्स क्यों रिजर्ड है उन फ्रीडम फाइटर्स के बच्चे और पोता पतियों के लिए आजादी फ्रीडम फाइटर्स ने दलाई तो पोता पोतियो को भला कोटा क्यों दिया जा रहा है यह मैटर फिर बांग्लादेश के हाई कोर्ट तक चला गया 8 मार्च 2018 को जब कोटा सिस्टम के बारे में पिटीशन बांग्लादेश के हाई कोर्ट में पहुंची तो हाई कोर्ट ने इस पेटीशन को रिजेक्ट कर दिया उन्होंने यह नहीं कहा कि कोटा सिस्टम सही है या फिर गलत बल्कि उन्होंने कहा कि जिसने ये पेटीशन सबमिट करी है उसका कोटा सिस्टम से लेना देना ही नहीं है तो आपने भला ये पेटीशन सबमिट ही क्यों करी पर इसके बाद जो सरकार का रिस्पांस था उस वजह से बवाल मचा शेख हसीना सरकार ने कहा कि कोटा सिस्टम में कोई प्रॉब्लम नहीं है यह कंटिन्यू रहेगा शेख हसीना वही महिला है जिन्होंने 28 साल की उम्र में ऑलमोस्ट अपने पूरे खानदान को मरते हुए देखा जब 1975 के मिलिट्री कु में उनको मार दिया गया उनकी जान इसी वजह से बची थी क्योंकि वो उस समय जर्मनी में थी और इस इंसीडेंट के बाद उनके मन के अंदर एक बहुत बड़ा शक था बांग्लादेशी आर्मी के बारे में और और ये शक करीब 40 साल बाद 2024 में रेलीवेंट होगा में बांग्लादेश की पॉलिटिकल हिस्ट्री के बारे में बात नहीं करूंगा कि शेख हसीना प्राइम मिनिस्टर बनी कैसे क्योंकि फिर फोकस रखना चाहता हूं कोटा सिस्टम पर बांग्लादेश में कई लोगों ने कहा कि शेख हसीना के लिए कोटा सिस्टम बहुत ही इमोशनल इशू था क्योंकि ये कोटाज उनके पिताजी ने इंट्रोड्यूस करे थे अपने पॉलिटिकल करियर में शेख हसीना अपने पिताजी की कई लेगासी और प्रिंसिपल से इन्फ्लुएंस रही हैं और शेख मुजीबुर रहमान की लेगासी में इस कोटा सिस्टम ने एक इंपॉर्टेट रोल प्ले किया था इस वजह से शेख हसीना इस कोटा सिस्टम को नहीं हटाना चाहती थी इसी वजह से 2018 में उन्होंने अनाउंस किया था कि बांग्लादेश के हाई कोर्ट के ऑर्डर के बाद कोटा सिस्टम बना रहेगा पर स्टूडेंट्स इस बात को मानने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे क्योंकि गुस्सा बस कोटा के बारे में नहीं था कोटा के पीछे नौजवानों के बीच एक बेरोजगारी की समस्या थी अब बांगला देश में गवर्मेंट इंडस्ट्री तो कई सालों से अच्छा कर रही थी पर जो नौकरियां प्रोड्यूस करी थी इस इंडस्ट्री ने वो लो पेइंग थी प्राइवेट सेक्टर के दूसरे एरियाज में नौकरी मिलना इतना आसान नहीं था एक 2017 की 1017 की वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट ने भी दिखाया कि जॉब क्रिएशन बांग्लादेश में बहुत स्लो हो गई है ऐसी सिचुएशन में स्टूडेंट्स के लिए सरकारी नौकरियां बहुत अट्रैक्टिव हो गई थी और उनका कहना था कि प्राइवेट सेक्टर में तो नौकरियां नहीं है और भला पब्लिक सेक्टर में आप इतनी रिजर्वेशन क्यों दे रहे हो ऐसे स्टूडेंट प्रोटेस्टर्स ने पूछा कि सिविल सर्विस पोजीशन में 30 पर रिजर्वेशन क्यों दी जा रही है उन लोगों को जिनकी बस % पॉपुलेशन है इसीलिए स्टूडेंट्स अपनी क्लासेस बॉयकॉट करने लग गए और उन्होंने रोड्स और हाईवेज भी ब्लॉक कर दिए कई स्टूडेंट्स ने सरकारी वेबसाइट्स भी हैक कर दी कोटा की रिफॉर्म की मांग के लिए जबकि अपोजिशन पार्टीज कह रही थी कि शेख हसीना एक कोटा सिस्टम रखना चाहती है ताकि उनकी ब्यूरोक्रेसी में वही लोग आए जो उनकी वाहवाही करते रहे पर 2018 में प्रोटेस्ट इतनी हद तक बढ़ गई थी कि सरकार को चेंज लाना ही पड़ा दबाव के चलते में बांग्लादेश की सरकार ने अनाउंस किया कि अब कोटा सिस्टम कैंसिल कर दिया जाएगा तो प्रोटेस्टर्स को वो मिल गया जो उनको चाहिए था कहानी खत्म और बांग्लादेश वापस से पीसफुल हो गया नहीं यह चीज बदली 6 साल के अंदर बांग्लादेश के फ्रीडम फाइटर्स के कई रिलेटिव्स ने हाई कोर्ट में पिटीशन डाली कि सरकार का डिसीजन जिससे कोटा सिस्टम को हटा दिया गया वो गलत है और 5th जून 2024 को बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने अपना डिसीजन सुनाया उन्होंने कहा कि फ्रीडम फाइटर्स और उनके परिवार देश के सबसे डिसएडवांटेज ग्रुप्रा में से एक है और कोटा सिस्टम को हटाने का तरीका अनकंस्टीट्यूशनल इल्लीगल और इनफेक्टिव था जिसकी वजह से वो कोटा सिस्टम को रिइंट्रोड्यूस कर रहे हैं इस डिसीजन के अनाउंस करने के बाद स्टूडेंट प्रोटेस्ट स्टार्ट हो गई और कई स्टूडेंट प्रोटेस्टर्स ने शेख हसीना को डायरेक्टली टारगेट किया अब आप सोचोगे कि कोटा सिस्टम को रिइंट्रोड्यूस तो कोर्ट ने किया तो फिर लोग शेख हसीना को भला क्यों टारगेट कर रहे थे इसके दो कारण थे पहला कारण था कि शेख हसीना ने कई समय से अपोजिशन को दबा कर रखा था इनफैक्ट इसी साल शेख हसीना पर दावे लगाए गए कि उन्होंने इलेक्शंस फ्री एंड फेयर नहीं कराए 300 में से उन्होंने 222 सीट्स तो जीती पर कई इंटरनेशनल बॉडीज ने कहा कि इलेक्शंस फेयर नहीं थे बांग्लादेश की मेन अपोजिशन पार्टी बीएनपी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इन इलेक्शंस को बॉयकॉट भी कर दिया था मानो शेख हसीना बांग्लादेश में वन पार्टी रूल यूज कर रही थी और उनकी दूसरी गलती थी कि उन्होंने स्टूडेंट प्रोटेस्टर्स के खिलाफ एक्सेसिव फोर्स यूज करी 1 जुलाई 2024 के बाद प्रोटेस्ट वापस से स्टार्ट हुई स्टूडेंट्स ने इन प्रोटेस्ट को बांगला ब्लॉकेड बुलाया और ढाका में ही नहीं बल्कि बांग्लादेश के नॉर्दर्न पार्ट में भी ट्रैफिक और ट्रेन की सविसेस को रोक दिया गया पर किसी ने ये नहीं सोचा था कि शेख हसीना एक महीने के अंदर देश छोड़कर ही चली जाएंगी सिचुएशन टेंथ जरूर थी पर काम थी इनफैक्ट 8 जुलाई को शेख हसीना चाइना की चार दिन की विजिट पर भी गई जहां उन्होंने शी जिन पिं के साथ कई एग्रीमेंट साइन करे पर सडन उन्होंने अनाउंस किया कि वो चाइना से जल्दी वापस आ जाएंगे उन्होंने बहाना दिया अपनी बेटी की हेल्थ का पर लोगों को पता था कि वह जल्दी बांग्लादेश क्यों आ रही हैं 14 जुलाई को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करी प्रोटेस्टर्स को शांत रखने के लिए पर उन्होंने एक ऐसी चीज कही प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जिसने सिचुएशन को और बिगाड़ दिया अपनी स्पीच में शेख हसीना ने कहा कि फ्रीडम फाइटर्स के पोते पोतियो को कोटा नहीं मिलेगा तो क्या रजाकार के पोते पोतियो को मिलेगा जब शेख हसीना ने यह रजाकार शब्द यूज किया अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसी ने सिचुएशन पूरी तरह बदल दी क्योंकि ये टर्म बांग्लादेश में बहुत ही भद्दा है 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में जो रजाकार थे उन्होंने पाकिस्तान मिलिट्री को सपोर्ट किया था बांग्लादेश के इंडिपेंडेंस फाइटर्स के खिलाफ इन लोगों ने कई भद्दी चीजें करी थी उन्होंने सिविलियंस को मारा था और कई भी करे इसलिए जब शेख हसीना ने यह शब्द यूज किया था अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रोटेस्टर्स और गुस्सा हो गए उन्होंने कई लगाए तुई के आमी के राजा का रजाकार तुम कौन हो मैं कौन हूं रजाकार रजाकार प्रोटेस्टर्स ये नहीं कह रहे थे कि वो रजाकार हैं बल्कि यह एक तरीका था उनका शेख हसीना का यह दिखाने का कि वो ऐसे शब्द प्रोटेस्टर्स के लिए यूज नहीं कर सकती 15 जुलाई को सिचुएशन बद से बदतर हो गई ढाका यूनिवर्सिटी में कई प्रोटेस्टर्स भिड़े एक स्टूडेंट विंग के साथ ये स्टूडेंट विंग था आवामी लीग का अगले दिन पूरे देश में वायलेंस फैल गया ढाका हो या फिर रंगपुर हर जगह स्टूडेंट प्रोटेस्टर्स मारे जा रहे थे सिचुएशन बहुत ही खराब थी थी रबर रबर बुलेट्स बुलेट्स और और यर गैस शेल्स यूज़ करे जा रहे थे स्टूडेंट्स के खिलाफ ऐसा लग नहीं रहा था कि सिचुएशन और बिगड़ सकती है पर ऐसा ही हुआ बांग्लादेश सरकार ने इन प्रोटेस्ट में मिलिट्री को और इवॉल्व कर दिया तो स्टूडेंट प्रोटेस्टर्स के खिलाफ अब सरकार थी पुलिस थी मिलिट्री थी और आवामी लीग का स्टूडेंट विंग भी था और अब खून पानी की तरह बहने लगा 18 जुलाई को 15 से ज्यादा स्टूडेंट्स मारे गए ढाका की सड़कों पर अब टैक्स थे प्रोटेस्टर्स ने नारे लगाए कि डिक्टेटर को गिराओ उन्होंने कई सरकारी बिल्डिंग्स पर आग भी लगा दी सेंट्रल बैंक प्राइम मिनिस्टर्स ऑफिस और पुलिस की वेबसाइट्स हैक कर दी गई और हैकर ग्रुप ने अपने आप को बुलाया द रेजिस्टेंस फिर शेख हसीना की सरकार ने 4G सर्विसेस ही बंद कर दी पूरे इलाके में उनको लगा था कि ऐसे सख्त कदम लेने से प्रोटेस्ट कम हो जाएंगी पर एकदम ही उल्टा हुआ प्रोटेस्ट और बढ़ने लगी जिसके बाद पुलिस ने एक शूट ऑन साइट ऑर्डर इशू किया यानी कि अगर कोई प्रोटेस्टेड दिखे आपको तो उनको मार दो 16 आदान बच्चों की जानी गई इंक्लूडिंग एक प्रीस्कूलर बांग्लादेश के एक न्यूज़पेपर न्यू एज ने दिखाया कि कैसे एक 15 साल की लड़की मारी गई जब वो अपने वरांडा से कपड़े कलेक्ट कर रही थी एकदम से ढाका एक वॉर्ड जोन बन गया था 16 और 20 जुलाई के बीच 100 से ज्यादा स्टूडेंट्स मारे गए और यह तो बस ऑफिशियल नंबर्स थे अनऑफिशियली नंबर्स बहुत ज्यादा थे फिर 21 जुलाई को बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने अपनी जजमेंट पास करी हाई कोर्ट के ऑर्डर पर जिसकी वजह से ये सारा बवाल चार्ट हुआ था बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण पर हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है उन्होंने हाई कोर्ट का ऑर्डर कैंसिल कर दिया और कहा कि 93% पर जॉब्स अब मेरिट पर होंगी और जो 7% पर जॉब्स हैं वही बस एक कोटा के जरिए होंगी 5% पर कोटा होगा वेटरन का यानी कि फ्रीडम फाइटर्स के बच्चों के लिए और 2% पर कोटा होगा एथनिक माइनॉरिटी ट्रांसजेंडर्स और डिसेबल्ड लोगों के लिए पर इस वडिक्ट से प्रोटेस्टर्स खुश नहीं थे क्योंकि उन्होंने कहा कि कोई भी कोटा देना ही क्यों चाहिए फ्रीडम फाइटर्स के बच्चों को वो चाहते थे कि ये कोटा हटा दिया जाए उनकी अकेली मांगनी थी उनकी दूसरी मांगती कि शेख हसीना सरकार को माफी मांगनी होगी उनके वायलेंस के लिए और जो भी लोग जिम्मेदार हैं बच्चों की हत्या के लिए उनको सजा सुनाई जाए उन्होंने यह भी मांगे रखी कि इंटरनेट कनेक्शन रिस्टोर कर दिया जाए यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेस रिओपन कर दी जाए और वो प्रोटेस्टर्स जिनको जेल में भेज दिया गया है उनको रिहा किया जाए टोटल प्रोटेस्टर्स ने नौ मांगे लिस्ट करी पर एक हफ्ते बाद भी यह मांगे पूरी नहीं करी गई कुछ लोग को इंटरनेट कनेक्शन तो मिला पर मेजॉरिटी बांग्लादेश एक इंटरनेट कर्फ्यू पर ही था अभी भी मिलिट्री सड़कों पर तैनात थी और मानो पूरे देश पर एक कर्फ्यू लगा हुआ था पुलिस अभी भी स्टूडेंट प्रोटेस्टर्स पर भारी एक्शन ले रही थी जुलकरनैन सैर एक रिपोर्टर ने कहा कि 23 जुलाई की रात को 36 अनइंडेंट को पता चला कि सरकार तो नेगोशिएशन करने के मूड में है ही नहीं वो बस नेगोशिएशन का नाटक कर रहे जिससे उनको कुछ समय मिल जाए भला 36 अनइंडेंट फाइड बॉडीज कैसे दफना जा सकती हैं और अब कई प्रोटेस्टर्स भी चालाक हो गए थे वो ऑनलाइन मीडियम यूज कर रहे थे कम्युनिकेट करने के लिए जैसे वो जैसे उन्होंने एक फेसबुक ग्रुप बनाया और अपडेट साझा करने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल किया लेकिन पुलिस ने बुरा व्यवहार करना शुरू कर दिया पत्रकार मेहदी हसन मारोफ ने हमें बताया कि कैसे एक लड़के को गिरफ्तार किया गया जो छात्र भी नहीं था जब उसे गिरफ्तार किया जा रहा था, तो उसकी मां ने कहा कि उसका बेटा विश्वविद्यालय में पढ़ता भी नहीं है पुलिस उसे क्यों ले जा रही है? अब, प्रदर्शनकारी केवल कोटा की मांग नहीं कर रहे थे, बल्कि वे यह भी मांग कर रहे थे कि शेख हसीना इस्तीफा दें क्योंकि वह छात्रों के खिलाफ हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं उदाहरण के लिए, शेख हसीना की तस्वीर को ढाका के जहांगीर विश्वविद्यालय से हटा दिया गया विभाग ने कहा कि वे विश्वविद्यालय में एक हत्यारे की तस्वीर नहीं लटका सकते हैं शेख हसीना ने छात्रों के विरोध के परिणामों को कम करके आंका और वह पता लगाने वाली थी 4 अगस्त के बाद, एक असहयोग आंदोलन शुरू हुआ छात्रों ने कक्षाओं में जाना बंद कर दिया। उन्होंने शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की और ढाका तक एक लंबा मार्च शुरू हुआ "प्रदर्शनकारियों ने लोगों से ढाका तक मार्च करने का आग्रह किया है।'" "यह सब इसलिए हो रहा है ताकि शेख हसीना की सरकार को गिराया जा सके। इसका मतलब यह हुआ कि 300 से अधिक छात्र मारे गए। प्रदर्शनकारियों ने सोचा कि सरकार माफ़ी मांगने के बजाय हिंसा का इस्तेमाल कर रही है। जवाब में, कई प्रदर्शनकारियों ने ढाका के एक सार्वजनिक अस्पताल बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी पर हमला किया। उन्होंने कई राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया और कई सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं को घेर लिया। दुर्भाग्य से, हमने इन विरोधों का एक सांप्रदायिक मोड़ भी देखा। प्रोफेसर नजमुल ने दिखाया कि कई लोगों ने इस हिंसा का इस्तेमाल हिंदू अल्पसंख्यकों के घरों और मंदिरों पर हमला करने के लिए किया। "... बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि खबर आ रही है कि इनमें से बहुत सारी मौतों के लिए हिंदू समुदायों को निशाना बनाया जा सकता है। यह स्पष्ट नहीं है कि हिंदुओं पर हमला क्यों किया जा रहा था लेकिन एक सिद्धांत दिया गया था कि कई हिंदू समुदाय के सदस्य पारंपरिक रूप से शेख हसीना के समर्थक थे। इसलिए उन पर हमला किया जा रहा था लेकिन वे भूल गए कि उनमें से कई वास्तव में छात्र प्रदर्शनकारियों के साथ थे। लेकिन अब स्थिति खराब हो रही थी। 5 अगस्त को, एक अंतिम विरोध प्रदर्शन उन्हें जल्दी से निकलना पड़ा अपने आखिरी कुछ मिनटों में शेख हसीना ने सेना से प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग करने को कहा लेकिन सेना ने मना कर दिया शेख हसीना ने 3 दिन पहले इसके लिए कहा था, और सेना ने इनकार कर दिया लेकिन शेख हसीना का जवाब था कि उनकी पार्टी के समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लड़ेंगे, और उन्हें हथियार दिए गए हैं। इस तरह, सेना के खिलाफ शेख हसीना का शक सच निकला उन्हें एहसास हुआ कि प्रदर्शनकारियों को संभालने की उनकी कोई सीमा नहीं है लेकिन बांग्लादेशी सेना की भी एक सीमा है। इसके बाद शेख हसीना अपनी बहन के साथ हेलीकॉप्टर में भाग गईं इसके बाद बांग्लादेशी सेना ने शेख हसीना के घर के बाहर लगे बैरिकेड्स हटा दिए और प्रदर्शनकारी उनके घर में घुस गए जब आप ऐसे दृश्य देखेंगे तो आपको लगेगा कि ये 2012 के विरोध प्रदर्शनों की कार्बन कॉपी हैं इसके बाद वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित एयरबेस पहुंचीं, जहां उन्होंने नई दिल्ली में अपनी रात बिताई। यह स्पष्ट नहीं है कि वह दिल्ली में कब तक रहेंगी, क्योंकि कथित तौर पर, उन्होंने यूनाइटेड किंगडम में राजनीतिक शरण के लिए आवेदन किया है। लेकिन भारत के लिए स्थिति कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि हमारी सरकार की शीर्ष सुरक्षा समिति की बैठक जिसमें कई मंत्री शामिल हैं, हुई। इसके अलावा, विदेश मंत्री जयशंकर ने एक सर्वदलीय बैठक का भी नेतृत्व किया जहां कई विपक्षी नेता मौजूद थे। यह दो कारणों से भारतीय सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। पहला, चाहे आप लेफ्ट को देखें या राइट को, हाल के वर्षों में हर जगह राजनीतिक अस्थिरता रही है। चाहे वह श्रीलंका हो, पाकिस्तान हो, अफगानिस्तान हो, म्यांमार हो या बांग्लादेश हो। ऐसे अनिश्चित वैश्विक माहौल में जब आपका पड़ोसी बेहद अस्थिर क्षेत्र में हो, तो यह किसी भी देश के लिए अच्छी खबर नहीं है। दूसरा, शेख हसीना का व्यवहार भारत के पक्ष में था अब कुछ लोग कहते हैं कि भारत को इतना डरने की ज़रूरत नहीं है। जैसे पत्रकार ज़िया हुसैन कहते हैं कि जमात-ए-इस्लामी जैसी कई रूढ़िवादी पार्टियों लोगों के बीच इतनी लोकप्रिय नहीं हैं बांग्लादेश की और बांग्लादेश नेशनल पार्टी इतनी लोकप्रिय नहीं होगी क्योंकि उनकी अपनी पार्टी में कई स्वतंत्रता सेनानी हैं जो इस कोटा के समर्थन में थे। अब उम्मीद है कि यह सच है। कई प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि जो भी नई सरकार बने वह एक धर्मनिरपेक्ष सरकार होनी चाहिए और यह इस बात पर निर्भर करता है कि सत्ता किसके पास होगी। प्रदर्शनकारियों, रूढ़िवादी दलों या सेना। बांग्लादेश के छात्र प्रदर्शनकारियों ने हमें सिखाया है कि जब भी कोई सरकार प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल करती है तो उसका क्या नतीजा हो सकता है? दुर्भाग्य से, हमने हाल ही में ऐसे विरोधों के बारे में एक काला सच देखा है। सरकारें गिरती हैं, लेकिन राजनीतिक व्यवस्था नहीं बदलती। एक तानाशाह को हटा दिया जाता है, और एक नया तानाशाह आता है। इसलिए जो लोग कहते हैं कि बांग्लादेश में लोकतंत्र समर्थक क्रांति है, उन्हें दो बार सोचने की जरूरत है। क्रांति होगी या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि अगली कुर्सी पर कौन बैठेगा। और भारत को उम्मीद करनी चाहिए कि श्रीलंका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और म्यांमार के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता लंबे समय तक नहीं रहेगी।
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