पिछले हफ्ते यानी 27th अक्टूबर 2023 को यूएस ने एक नया न्यूक्लियर बॉम्ब b61 13 बनाने और जल्दी उसके टेस्ट करने की अनाउंसमेंट कर दी जो कि 1945 में हिरोशिमा पर गिराए बॉम से 24 टाइम ज्यादा बड़ा और ज्यादा स्ट्रांग है मतलब कि भगवान ना करे और कभी ऐसा होगा भी नहीं बट सिर्फ और सिर्फ हाइपोथेटिकली आपको समझाने के लिए अगर यह बॉम दिल्ली में राष्ट्रपति भवन पर गिरता है तो राष्ट्रपति भवन के 800 मीटर रेडियस वाले एरिया में 6 लाख लोग लिटरली भाप बन के एक झटके में मर जाएंगे इसके आगे करीब 1 किमी के एरिया में सारी बिल्डिंग्स मिट्टी में मिल जाएगी और डेटोनेशन साइट के 3.21 किमी रेडियस यानी कि इन एरियाज के बचे कुचे लोग अगले एक महीने के अंदर न्यूक्लियर रेडिएशन से मारे जाएंगे इसके बाद भी जो लोग बच गए उनको भी कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो जाएंगी और इसीलिए ये सवाल उठता है कि हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बॉम से भी 26 टाइम ज्यादा खतरनाक बॉम को यूएसए आज की तारीख में क्यों बना रहा है अब आई नो आप में से कई सारे लोग बोलेंगे कि अभी इजराइल हमास वॉर चल रहा है ना उसमें यूएस इजराइल को सपोर्ट कर रहा है इसीलिए इनफैक्ट सारे एविडेंसेस और एक्सपर्ट ओपिनियन तो इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि यूएस प्रेसिडेंट ये न्यूक्लियर बॉम बना रहा है उनके पॉलिटिकल राइवल्स के लिए अब यह बात मे भी आपके लिए एज एन आउटसाइडर आपको अजीब लगे बट यूएसए में ये एक आम बात है और मैं आपको बताता हूं आगे क्यों बट इसके अलावा एक दूसरा रीजन भी है और वो यह है कि यूएसए के इस बॉम के बारे में तो आज हमने जाना बट डू यू नो एक तरफ रशिया और दूसरी तरफ चाइना दो यूएस के सबसे बड़े राइवल देश वो तो ऐसे ऐसे बॉम्ब्स बना रहे हैं जिसके सामने यूएसए का ये बॉम तो एकदम चाय कम पानी है वेल फ्रेंड्स आज से पहले आई डोंट नो कि आपने वर्ड सुना भी होगा कि नहीं बट न्यूक्लियर पॉलिटिक्स इज अ वेरी रियल थिंग बारे में बहुत कुछ जानने वाले हो
लेकिन उससे पहले चलिए ये समझ लेते हैं कि मैंने ऐसा क्यों कहा कि ये बॉम यूएस ने इजराइल हमास वॉर के लिए नहीं बना है जबकि बहुत सारे सबूत इसके तरफ डायरेक्शन दे रहे हैं। सो जैसे कि आपको पता होगा अभी हाल ही में यूएस पर मिडिल ईस्ट में 19 बहुत बड़े-बड़े अटैक्स हुए और इस वजह से प्राइम ऑफ एसी ये बिल्कुल लग रहा है कि यूएसए शायद उन्हीं अटैक्स और उन्हीं मिडिल ईस्टर्न कंट्रीज को डिटर करने के लिए यह बॉम बना रहे हैं अब इजराइल की मदद करने के लिए जैसे आपको पता होगा हमास के अटैक के बाद यूएस ने अपने दो बड़े-बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर और चार वरशिप्श इजराइल के सपोर्ट में ऑलरेडी भेज दिए है और अगर
आप मिडिल ईस्ट के इस मैप में इजराइल और सराउंडिंग जॉ ग्राफी को देखोगे तो इजराइल के वेस्ट में मेडिटरेनियन और साउथ में रेड सी है और यूएस ने स्पेसिफिकली मेडिटरेनियन सी में जेराल्ड आर फोर्ड कैरियर इजराइल के सपोर्ट के लिए डिप्लॉयड वाला फोर्ड 2017 में कमिशन यूएस का सबसे मॉडर्न एयरक्राफ्ट कैरियर है और रेड सी में यूएस ने एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस आइन होवर और उसके साथ ये चार वरशिप्श भी भेजे हैं यानी कि समुंदर में इजराइल को वेस्ट और साउथ से पूरी सेफ्टी यूएस प्रोवाइड कर रही है इनफैक्ट यूएसए को अपने सपोर्ट र्ट का भारी नुकसान भी उठाना पड़ा है इस प्रो इजराइल मूव से नाराज होकर ईरान बैक टेररिस्ट ग्रुप्श ने सीरिया में स्टेशन यूएस सोल्जर्स पर एक हफ्ते के अंदर 19 अटैक्स कर दिए थे जिन अटैं में 21 यूएस सोल्जर्स इंजर हो चुके अब जाहिर है यूएसए ने इसका करारा जवाब तो दिया लेकिन फिलहाल अब सिचुएशन यह है कि अपने रिटल के बाद भी यूएस डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन ने ईरान को ये क्लियर धमकी देते हुए कहा कि अगर ईरान बैग ये मिलिटेंट्स हमारे लोगों पर हमला करते हैं आगे कभी तो यूएसए कि सी भी हद तक जाकर अपना बदला पूरा कर सकता है अब इस स्टेटमेंट के बाद जायज है पूरी दुनिया को लगने लगा कि यूएसए ने यह न्यूक्लियर बॉम हो ना हो इजराइल हमास वॉर के लिए ही बनाया है लेकिन फिर आता है यूएसए का एक और एक स्टेटमेंट जिसमें यूएसए एकदम से पलट गया इजराइल के फुल सपोर्ट में आगे आने के बाद भी यूएस इजराइल हमास वॉर कैटास्ट्रोफीज इजराइल के कैबिनेट मिनिस्टर ने गाज पर न्यूक्लियर अटैक की बात की तो यूएस के स्टेट डिपार्टमेंट ने सीधा कह दिया इट्स होली अन एक्सेप्टेबल यानी कि ये क्लियर इंडिकेशन था कि वो न्यूक्लियर बॉम को इस वॉर में यूज़ नहीं करना चाहते सो अब आखिर यूएसए ये बॉम्ब बना किस लिए रहा है लेट मी रिवील दैट फॉर यू वेलकम टू द वर्ल्ड ऑफ न्यूक्लियर पॉलिटिक्स रीजन नंबर वन टू डेटर एडवर्सरीज तो आज के तारीख में फ्रेंड्स यूएसए ये बॉम्ब मजबूरी में भी बना रहा है क्योंकि यूएसए के दो बड़े दुश्मन देश रशिया और चाइना ने इतनी बड़ी सीक्रेट तैयारी कर रखी है कि अगर वो चाहे तो एट द क्लिक ऑफ अ बटन वो पूरे के के पूरे यूएसए को नक्शे से मिटा सकते हैं और यह बात मैं नहीं बल्कि खुद यूएस के प्रेसिडेंट कह रहे हैं यूएस में न्यूक्लियर पोस्टर रिव्यू नाम की एक न्यूक्लियर थ्रेट को लेकर रिपोर्ट पब्लिश की गई जिसमें क्लियर ये लिखा था कि 2030 तक यूएस को रशिया और चाइना से मेजर न्यूक्लियर चैलेंज फेस करना पड़ सकता है और ऐसा इसीलिए क्योंकि उस रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल रशिया के पास जो मॉडर्न आर्सनल हैं वो इतने ज्यादा है कि उनसे अमेरिका को मेजर एसिस्टेंसिया थ्रेट फेस करना पड़ेगा देखो आज के तारीख की बात करें तो आज दुनिया में सबसे ज्यादा न्यूक्लियर वेपंस रशिया और यूएस के पास ही है रशिया 'के पास 5889 और यूएस के पास 5224 इनके अलावा तीसरे नंबर पर आता है "चाइना जिनके पास 410 है और इंडिया पाकिस्तान दोनों के पास 164 और 170 बॉम्बस रिस्पेक्टिवली है अब उस रिपोर्ट में एक और मेजर रेवलेशन ये किया गया कि आने वाले 10 सालों में चाइना और 1000 न्यूक्लियर वॉर हेड्स बनाने वाला है और इसीलिए जाहिर है यूएसए को भी इन दोनों देशों से मेजर न्यूक्लियर थ्रेट्स हो जाएंगे क्योंकि ये दोनों देश एलाइज हैं और इसीलिए खुद यूएस गवर्नमेंट ने 661 13 के प्रेस रिलीज में बताया कि यही वन ऑफ दी मेन रीजंस है कि उन्होंने b61 13 बॉम बनाने का प्लान किया है अब इस इतने बड़े न्यूक्लियर बॉम्ब को इंट्रोड्यूस करने के बावजूद भी यूएस की कांग्रेस जिसमें अपोजिशन रिपब्लिकन पार्टी स्ट्रांग है उन्होंने गवर्नमेंट को क्रिटिसाइज करते हुए यह बताया कि इस एक बॉम्ब से कुछ नहीं होगा यूएस अभी भी अपने दुश्मन रशिया और चाइना से काफी पीछे है अब अपोजिशन का यह बयान सुनकर आपको यह लग रहा होगा कि देश की सिक्योरिटी को लेकर यह अपोजिशन पार्टी कितनी कंसर्ड है एंड वेल लेट मी टेल यू ऐसा बिल्कुल भी नहीं है असल में ये पूरा मांजरा है न्यूक्लियर बॉम्ब पॉलिटिक्स का जो वहां के पार्टीज काफी टाइम से करते आ रहे हैं एंड एगजैक्टली यही है बॉम बनाने का दूसरा रीजन यूएस इंटरनल पॉलिटिक्स दरअसल न्यूक्लियर वेपंस यूएस में प्रेसिडेंट के चुनाव में वोट बटोरने में बहुत काम में आते हैं जैसे कि फॉर एग्जांपल 1980 के प्रेसिडेंशियल इलेक्शन में हुआ था इस इलेक्शन में रिपब्लिकन पार्टी कैंडिडेट रोनाल्ड रीगन ने यूएस प्रेसिडेंट जिमी कार्टर के न्यूक्लियर पॉलिसी को क्रिटिसाइज किया और कहा कि अगर वो प्रेसिडेंट बने तो मिलिट्री और न्यूक्लियर आर्सनल को और भी ज्यादा मॉडर्नाइज कर देंगे और इसी वजह से इस नारे के साथ रीगन एक सिटिंग प्रेसिडेंट को हराकर चुनाव जीत भी गए और इसीलिए तभी से ही शायद ये एक ट्रेडिशनल गया कि उन प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट्स के जीतने के चांसेस बढ़ जाते हैं जो कि एक्सट्रीमली प्रो न्यूक्लियर स्टैंड रखते हैं इसी ट्रेडीशन को आप आज भी देख सकते हो जैसे कि यूएस के दोनों पॉलिटिकल पार्टीज की पसंद दो अलग-अलग न्यूक्लियर बॉम्ब्स हैं और दोनों के क्लेम्म न्यूक्लियर बॉम दूसरे के बॉम से ज्यादा स्ट्रांग है डेमोक्रेट पार्टी 661 13 के फेवर में है और रिपब्लिकन पार्टी b 831 को पसंद करती है दरअसल डेमोक्रेटिक पार्टी के ओबामा ने अपने प्रेसिडेंसी के टाइम पे b83 न्यूक्लियर बॉम को रिटायर कर दिया था लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप ने प्रेसिडेंट बनते ही b83 बॉम्ब्स का रिटायरमेंट कैंसिल कर दिया लेकिन फिर उस उसके बाद डेमोक्रेटिक पार्टी के बाइड ने फिर से b83 बॉम्ब्स को रिटायर करने का ऑर्डर पास कर दिया बेसिकली न्यूक्लियर बॉम्ब्स का यूज कहीं पर नहीं हो रहा है लेकिन जिसकी सरकार उसका न्यूक्लियर बॉम्ब बनता या कैंसल होता है अब बताए गए दो रीजंस के अलावा बॉम बनाने के प्लान का तीसरा रीजन आपको थोड़ा आइर निक लगेगा लेकिन फिर भी आपको बता देता हूं वेल वो ये है कि प्रेसिडेंट के हिसाब से पुराने पांच न्यूक्लियर बॉम से आधा खर्चा इस एक नए बॉम में लगने वाला है अब वो कैसे तो देखो आज जो b61 13 बन रहा है ना उस 61 सीरीज केबॉम्ब 1960 से ही बनने शुरू हुए थे और आज उस सीरीज में सिर्फ b61 4 7 10 11 और 12 वर्जस ही ऑपरेशनल है और इन्हीं पुराने बॉम्बस को मेंटेन करने का खर्चा 10 बिलियन डॉलर्स आता है इसी खर्चे को कट डाउन करने के लिए यस b61 न्यूक्लियर बॉम का 13th वर्जन बना रहा है जिसका खर्चा इरोनिकली ऑफिशल्स के हिसाब से सिर्फ $800 मिलियन डलर आने वाला है और अब बात करते हैं बॉम बनाने के पीछे के आखिरी रीजन के जो है इसकी मदद से यूएसए का दुनिया भर में अपना दबदबा बढ़ाना अब फ्रेंड्स यहां पर एक बात आपको बताता हूं क्या आप जानते हो सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान यूएस ने जब जापान पर दो न्यूक्लियर बॉम्ब्स गिराए थे और उनके दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी को तहस महस कर दिया था इस पूरे हादसे में अनफॉर्च्यूनेटली जापान सिर्फ एक बकरा ही बन गया था क्योंकि यूएसए का असली निशाना तो यूएसएसआर था बात दरअसल ऐसी है कि सेकंड वर्ल्ड वॉर में दो फ्रंट्स पर लड़ाई चल रही थी पहला यूरोप और दूसरा पेसिफिक लेकिन 7थ मई 1945 को जर्मनी के सरेंडर के साथ यूरोप फ्रंट पर वॉर खत्म हो गया इसके बाद जर्मनी को कंट्रोल करने के लिए जर्मनी को दो पार्ट्स में डिवाइड किया गया ईस्ट जर्मनी का कंट्रोल यूएसएसआर को मिल गया और वेस्ट जर्मनी का कंट्रोल यूएसए ने ले लिया अब क्योंकि यूरोप की लड़ाई खत्म हो चुकी थी तो यूएसए को इस बात का अंदेशा लग गया कि यूएसएसआर शायद अब पैसिफिक की लड़ाई में कूदे जिस पैसिफिक में अभी तक लड़ाई सिर्फ यूएसए और जापान के बीच हो रहा था अब जाहिर है यूएसएसआर भी अगर जापान के खिलाफ लड़े तो डेफिनेटली उसमें यूएसए का ही फायदा है लेकिन यूएसए ने सोचा कि जीत के बाद फिर जापान को भी जर्मनी की तरह उन्हें साला यूएसएसआर के साथ शेयर करना पड़ेगा जबकि यूएसए जापान का सोल कंट्रोल चाहता था अब यूएसए ने सोचा यूएसएसआर को इस रेस में हराने का और अपने हेजी मनी को कायम रखने का एक ही तरीका हो सकता है जापान को जल्द से जल्द घुटनों के बल पर ले आया जाए और वो भी ऐसे कि दुनिया और स्पेशली यूएसएसआर देखते ही रह जाए अब सबसे अनफॉर्च्यूनेटली पोविच ने 1965 में पब्लिश्ड अपनी बुक एटॉमिक डिप्लोमेसी हिरोशिमा एंड पोट्स डैम में लिखा हुआ है कि जापान पर न्यूक्लियर बॉम्ब यूएसए ने सिर्फ और सिर्फ सोवियत पर अपनी सुप्रीमेसी साबित करने के लिए किया था ना कि जापान को हराने के लिए क्योंकि जापान वैसे भी जल्द ही सरेंडर करने ही वाला था सो नाउ जस्ट इमेजिन यह वर्ल्ड पॉलिटिक्स कितना बड़ा दलदल है और इसमें न्यूक्लियर डिप्लोमेसी या न्यूक्लियर पॉलिटिक्स कहो कितना ना होता है अक्सर दो बड़े ग्लोबल सुपर पावर्स लड़ते हैं अपने हेजी मनी के लिए लेकिन उनकी लड़ाई में पिस जाता है एक दूसरा देश लेकिन यूएसए का ये न्यूक्लियर पॉलिटिक्स यहीं पर खत्म नहीं हुआ क्योंकि हिरोशिमा और नागासाकी ब्लास्ट के बाद यूएसए को यह पता चल गया कि ये बम्स मैस डिस्ट्रक्शन कर सकते हैं यानी कि इन फ्यूचर न्यूक्लियर बॉम्ब्स का इस्तेमाल दूसरे देशों को धमकियां देने के लिए किया जा सकता है और इस स्ट्रेटेजी को एटॉमिक डिप्लोमेसी कहते हैं एटॉमिक डिप्लोमेसी के थ्रू ग्लोबल लेवल पर अपनी प्रीम स को बनाए रखने के लिए यूएस ने अपने एलाई देशों के लिए एक न्यूक्लियर अंब्रेला क्रिएट किया जिसमें यूरोपियन नेटो कंट्रीज के साथ-साथ आज का टर्की जापान साउथ कोरिया और ताइवान भी शामिल है इस अंब्रेला के कंट्रीज को यूएसए न्यूक्लियर गारंटी देता है गारंटी कि इन एला कंट्रीज पर किसी भी दूसरे देश ने न्यूक्लियर अटैक किया तो यूएसए खुद न्यूक्लियर अटैक करके बदला निकालेगा रिटल लेगा और अल्टीमेटली ऐसे डील्स में फायदा तो यूएस का ही है क्योंकि यहां पर यूएस ने न्यूक्लियर प्रोटेक्शन का लालच देकर एक हॉस्टाइल्स में पूरे ग्लोब के मेजर कंट्रीज को अपने इन्फ्लुएंस में ले लिया और ग्लोबल जियोपोलिटिकल नेगोशिएशंस में ये चीज हेल्प करता है और इसीलिए इसे कहते हैं एटॉमिक डिप्लोमेसी हालांकि यूएस के इस नए बॉम के थ्रू दुनिया को एटॉमिक डिप्लोमेसी का एक दूसरा इंपैक्ट भी देखने मिलेगा जैसे रिसेंटली आपने सुना होगा कि रशिया न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी से बाहर निकल गया पर क्या आपको उसके इस ट्रीटी से बाहर निकलने का रीजन पता है वेल रशिया ने यूएस को रीजन बताया प्रेसिडेंट
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