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डिपेंडेंट थी इसीलिए उन्होंने फिर सीक्रेट रशिया से ऑयल इंपोर्ट करना शुरू कर दिया ऑन द अदर हैंड रशिया के ऊपर आए इस आपदा को पुटीन ने भी मस्त अवसर बनाया एक स्मार्ट मूव चलते हुए सबसे पहले उन्होंने अनाउंस कर दिया कि जो भी वेस्टर्न कंट्रीज रशिया से फ्यूल खरीदेंगे अब से उनको फ्यूल परचेस का पेमेंट कंपलसरेली रशियन करेंसी रूबल में ही करना होगा अब इससे हुआ यह ऑटोमेटिक दुनिया में डॉलर्स की जगह पर रशियन करेंसी वैल्यू को इंक्रीज करवाने पर फोकस किया जिससे उसने इसी वॉर को अपने फायदे के लिए लेवरेज कर लिया और उसका डायरेक्ट असर पड़ा रशिया के इकॉनमी पर वी हैव सीरियस डटा टू बैक दैट अप कि रशिया कैसे इस वॉर के बाद रिच हो गया सो सबसे पहले बात करते हैं फ्यूल की देखो कड़वी सच्चाई यह है कि रशिया को खुद वेस्टर्न कंट्रीज ने ही अमीर बनाया इनफैक्ट वेस्ट खुद इस वॉर में रशिया को पीछे से यूक्रेन के खिलाफ फंड कर रहा है ना चाहते हुए इवन दो वो फ्रंट फेस पर यूक्रेन को सपोर्ट दिखा रहा है अब मैं ऐसा इसीलिए बोल रहा हूं क्योंकि हुआ यूं कि रशिया यूक्रेन वॉर की शुरुआत होते ही वेस्टर्न कंट्रीज ने सबसे पहले रशिया के फ्यूल एक्सपोर्ट्स पर ही सैक्शन लगाए थे इसी दौरान जब इंडिया भी रशिया से ऑयल खरीद रहा था तब हम पर भी आरोप लगाया गया कि हम जो तेल खरीद रहे हैं उसमें यूक्रेनियंस का खून मिला हुआ है बट आइर निकली एगजैक्टली उसी समय पर वेस्ट के ये सारे प्रॉमिनेंट देश रशिया से ही खुद ऑयल खरीद रहे थे मगर बैक चैनल्स के थ्रू ताकि किसी को पता ना चले आल्सो विल यू बिलीव ये कंट्रीज तो नॉर्मल इंपोर्ट से भी ज्यादा तेल रशिया से खरीद रहे थे और इसीलिए खुद एक प्रॉमिनेंट यूएस ऑफिशियल ने ओपनली कहा कि रशिया इस वॉर में ऑयल और गैस एक्सपोर्ट करके पहले से भी ज्यादा पैसा कमा रहा है इनफैक्ट फ्रेंच न्यूज़पेपर लेमिनेट के हिसाब से रशिया ने बॉर के दौरान सिर्फ फ्यूल बेच के ही 158 बिलियन यूरोज कमा लिए जो अमाउंट दो श्रीलंका जैसे देशों के जीडीपी के बराबर है बट अब जरा नजर डालते हैं दूसरे सोर्स की ओर जिसने रशिया को अमीर बनाया जो है वेपंस इसी वॉर की वजह से सिर्फ एक ही साल यानी कि 2023 में रशिया ने 5.2 बिलियन डॉलर वेपन सेल से कमाए वो भी सिर्फ अफ्रीकन नेशंस को वेपन बेचकर माइंड यू इसके अलावा बाकी फ्रेंडली कंट्रीज को वेपन बेचकर जो पैसे आए वो अलग है इनफैक्ट एरोस्मिथ ने तो अपने 2023 के वेपन इंपोर्ट्स में से 30 पर वेपंस सिर्फ रशिया से ही ऑर्डर किए और वो भी यूक्रेन वॉर के दौरान और इस पे मैं इतना एमफसा इज इसीलिए कर रहा हूं क्योंकि लेट मी रिमाइंड यू रशिया पे सैंक्शंस लगाने में ये अफ्रीकन नेशंस भी तो शामिल थे पर ये हृदय परिवर्तन आखिर आया कैसे सो वेल इसके पीछे भी रशिया की एक बहुत ही स्ट्रांग सेल्स स्ट्रेटेजी थी इस बार रशिया ने सेल्स इंक्रीज करने के लिए कुछ नया ट्राई किया उन्होंने जो वेपंस एक्सपोर्ट करने थे उन्हें पूरी दुनिया को यूक्रेन पर टेस्ट करके बताया यस फ्री एडवर्टाइजमेंट रशिया अपने वेपंस की कैपेबिलिटी यूक्रेन में यूज करके बता रहा है जैसे फॉर एग्जांपल यह है उन वेपंस की लिस्ट जो रशिया ने यूक्रेन में टेस्ट की थी और अगर
आप देखोगे एक्सपोर्ट्स की लिस्ट तो आपको डिटो सेम वेपंस का नाम उधर भी मिल जाएगा मतलब रशिया लिटरली पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो इस स्लोगन को साकार कर रहा है वाशिंगटन पोस्ट में पब्लिश रिपोर्ट के हिसाब से यूक्रेन इनवेजन की वजह से रशिया को 12.4 ट्र डॉलर्स वर्थ का प्रॉफिट हुआ है जो कि जैसे मैंने पहले बताया था दुनिया की सेकंड लार्जेस्ट इकॉनमी चाइना के जीडीपी से भी ज्यादा है। चलो समझते हैं हाउ कुड दिस बिकम पॉसिबल दरअसल रशिया ने यूक्रेन को इवेट करके बड़े ही स्ट्रेटजिकली एक ऐसा एरिया अपने अंडर ले लिया जिससे उसे 12.4 ट्रिलियन डॉलर वर्थ का प्रॉफिट हुआ है क्योंकि वहां से रशिया
को भारी मात्रा में रेयर अर्थ मेटल्स और मिनरल डिपॉजिट्स मिले हैं अब अगर आप इस मैप को ध्यान से देखोगे तो यह वही एरिया है जिसको ऑक्यूपाइड के आज रशिया को 41 कोल फील्ड्स 27 नेचुरल गैस साइट्स नाइन ऑयल फील्ड्स और गोल्ड यूरेनियम और लिथियम जैसे वैल्युएबल रिसोर्सेस एक झटके में मिल गए अब अगर हम इन सभी रिसोर्सेस की वैल्यू ऐड करें और लैंड की भी वैल्यू ऐड करें तो यूएस के ही मीडिया के हिसाब से रशिया पूरे 12.4 ट्रिलियन डॉलर वर्थ का लैंड और रिसोर्स यूक्रेन से कैप्चर कर चुका है जिसे वो जब चाहे इजली मोनेटाइज कर सकता है सो सारे एविडेंसेस डाटा और हमारे पूरे रिसर्च को थर एनालाइज करने के बाद यह बात एकदम क्रिस्टल क्लियर है कि डेफिनेटली इस वॉर से रशिया ने काफी ज्यादा प्रॉफिट ऐठ है लेकिन ऑन द अदर हैंड जिन भी कंट्रीज ने उस पर सैंक्शंस लगाए आज उनकी हालत वाकई में काफी खराब हो चुकी है लेकिन इट डजन स्टॉप ओवर हियर कि आखिर यूएसए और ईयू ने यूक्रेन को वॉर में क्यों धकेला उनका इसमें क्या फायदा था वेल यूएसए का में भी समझ सकते हैं नेटो के लिए इस जंग में घुसा होगा या फिर वेपंस बेच पाने के बहाने से लेकिन ईयू को इससे क्या फायदा होता वेल जो फायदा उठाना था वो ऑलरेडी उन्होंने उठा लिया जैसे मैंने कहा रशिया कभी यह वॉर लड़ना ही नहीं चाहता था और यूक्रेन तो बस एक पपेट है और फिर आप यह भी जानते हो कि रशिया और यूक्रेन के बीच एक टाइम पर काफी गहरी दोस्ती थी इतनी गहरी कि आज जिस क्रिमिया रीजन को कब्जा करने के लिए रशिया को क्रिटिसाइज किया जाता है वो क्रिमिया रीजन रशिया ने 1954 में यूक्रेन को गिफ्ट में दिया था यस क्रिमिया रशिया का ही पार्ट था बट दोस्ती की निशानी के तौर पर रशिया ने उसे यूक्रेन को गिफ्ट कर दिया था और यूक्रेन भी रशिया पर उतना ही भरोसा करता था जब न्यूक्लियर बैन ट्रीटी के अंडर यूक्रेन को उसके न्यूक्लियर वेपन सरेंडर करने कहा गया तब यूक्रेन ने भी अपने वेपंस रशिया को ही सौंपे थे तो फिर आज इन दोनों में इतनी दुश्मनी कैसे हो गई वेल ये जानने के लिए ना थोड़ा सा बैकग्राउंड समझते हैं तब रशिया और यूक्रेन भी अलग हुए थे लेकिन इस बंटवारे में कई रशियन स्पीकिंग लोगों को यूक्रेन में ही रहना पड़ा था और इसीलिए यूक्रेन अलग होने के बाद भी वहां पर प्रो रशियन सेंटीमेंट्स स्ट्रांग थे जिस वजह से ही 1991 में अलग होने के बाद भी रशिया यूक्रेन को एक बड़े भाई जैसे इन्फ्लुएंस करता था लेकिन धीरे-धीरे जैसे टाइम बीतता गया यूक्रेन के वेस्टर्न पार्ट में रशिया का इन्फ्लुएंस कम होता चला गया क्योंकि वहां पर वेस्टर्न कंट्रीज ने अपना इन्फ्लुएंस बढ़ाना चालू कर दिया लेकिन अभी भी उनके ईस्टर्न पार्ट में रशिया का ही स्ट्रांग होल्ड था क्योंकि इस एरिया में रशियन स्पीकिंग पॉपुलेशन ज्याद थी सो 2014 तक भी रशिया और यूक्रेन के रिश्ते काफी अच्छे ही थे लेकिन 2004 में इनके रिलेशन में एक ऐसा नया मोड़ आया जिसने यूक्रेन को हमेशा के लिए रशिया का दुश्मन बना दिया नहीं मैं क्रीमियन इनवेजन की बात नहीं कर रहा हूं एक पॉलिटिकल टर्मल जिसने एक्चुअली में इनके रिश्ते खराब किए सो साल 2013 में वेस्ट ने यूक्रेन को यूरोपियन यूनियन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन करने का न्यौता दिया अब इस एग्रीमेंट के साइन होने से यूरोप को दो फायदे थे एक यूरोप के जीरो टैरिफ यानी कि इंपोर्ट टैक्सेस में उनके इंडस्ट्रीज के लिए एक मेजर र मटेरियल सप्लायर उन्हें मिल जाता जो कि यूक्रेन है और दूसरा उन्हें एक नए मार्केट का डायरेक्ट एक्सेस मिल जाता बट उस समय के यूक्रेनियन प्रेसिडेंट विक्टर यान कोविस के वजह से ऐसा नहीं हो पाया विक्टर ने यूरोपियन यूनियन के ऑफर को रिजेक्ट तो किया बट इसका एकदम उल्टा करते हुए उन्होंने रशिया के यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन को जॉइन कर लिया बेसिकली यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन यूएसएसआर टूटने के बाद जो भी रशिया से निकले कंट्रीज हैं उनका एक ट्रेड ग्रुप है सो यूक्रेन ने जैसे ही इस ग्रुप को जॉइन किया यूएस और यूरोपियन कंट्रीज को बुरा लग गया और उन्होंने यह ठान ली कि वो यूक्रेन को अपने झांसे में मैनिपुलेट करके रहेंगे सबसे पहले इन वेस्टर्न कंट्रीज ने वेस्टर्न यूक्रेन में रहने वाले लोगों के थ्रू पूरे यूक्रेन में प्रोटेस्ट करवाए क्योंकि वो ऑलरेडी काफी वेस्टर्न इन्फ्लुएंस हो चुके थे जिसके बाद मेजर फ्रेंच न्यूज़ आउटलेट्स ने इन प्रोटेस्ट को यूएस बैक्ड बताया यूएस और ईयू बैक्ड इन प्रोटेस्ट ने इतना वायलेंट रूप ले लिया कि इसमें 100 से भी ज्यादा सिविलियंस मारे गए थे इसे देखकर तब के यूक्रेनियन प्रेसिडेंट विक्टर को मजबूरन हार माननी पड़ी और उनको प्रोटेस्ट लीड कर रही अपोजिशन पार्टी यूरोपियन सॉलिडेरिटी के हेड पेट्रो पोरोशेंको के हाथों रूलिंग गवर्नमेंट को सरेंडर करना पड़ा यानी कि दुनिया में खुद को डेमोक्रेसी के फ्लैग बेरस बताने वाले वेस्ट ने एक डेमोक्रेटिक इलेक्टेड गवर्नमेंट का सीधा-सीधा कू करवा दिया अपने इल्लीगल फंडिंग्स के जरिए इस इंसीडेंट के बाद यूक्रेनियन प्रेसिडेंट विक्टर को अपनी जान बचाने के लिए रशिया भागना पड़ा क्योंकि पूरा वेस्टर्न यूक्रेन उनके खिलाफ हो गया था अब अगर आपने ध्यान से ऑब्जर्व किया होगा तो यूक्रेन में प्रोटेस्ट करने वाली पॉलिटिकल पार्टी का नाम यूरोपियन सॉलिड है यानी कि पॉलिटिकल पार्टी यूक्रेन की और नाम यूरोप से सॉलिड यानी कि एकता बढ़ाने का इससे क्लीयरली यह पता चल जाता है कि ये कितनी प्रो वेस्ट पार्टी है और इसका सबूत भी पार्टी लीडर पेट्रो पोरोशेंको ने बखूबी दिया उनके प्रेसिडेंट बनते ही सबसे पहले उन्होंने अपने आका यूरोप से किया वादा पूरा किया बेसिकली उन्होंने यूक्रेन यूरोपियन यूनियन एसोसिएशन एग्रीमेंट यानी कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन कर लिया एज अ रिजल्ट यूरोप को अब यूक्रेन से जो चाहिए था वो सब मिलना चालू हो गया जैसे आयरन स्टील माइनिंग प्रोडक्ट्स ये सब कुछ एकदम कम भाव में मिलने लगा ये आप इससे समझ सकते हो कि जहां पर 2014 के पहले रशिया यूक्रेन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर हुआ करता था बट इसके बाद ईयू यूक्रेन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया बट न्यूली पावर में आए यूक्रेनियन प्रेसिडेंट पेट्रो ने यूरोप को खुश करने के चक्कर में अपने नेबर और पुराने दोस्त रशिया से ही दुश्मनी लेना चालू कर दी थी पहला डिस्प्यूट चालू हुआ यहां इस मैप में दिखने वाली रशियन गैस पाइपलाइन से जो यूक्रेन से होते हुए यूरोप जाती है रशिया इस पाइपलाइन का रेंट पे करता था इनफैक्ट पिछले 2 सालों से दोनों कंट्रीज के बीच वॉर होने के बाद भी रशिया सालाना 1 टू 1.5 बिलियन डॉलर्स का एनुअली रेंट यूक्रेन को पे कर रहा है उनके प्रेसिडेंट ने तो इस रेंट को बढ़ाया भी था बट पावर में आने के बाद उन्होंने यह भी डिमांड करना शुरू कर दिया कि यूक्रेन को इस पाइपलाइन की 51 पर ओनरशिप दे दो इसके जवाब में रशिया ने यूक्रेन को उधार में दिए नेचुरल गैस के बिल को चुकाने कहा और इस पॉइंट से दोनों देशों के बीच रिलेशंस खट्टे होने लग गए लेकिन रशिया यूक्रेन के रिलेशंस में फाइनल ब्लो नाथ जुलाई 2016 को आया जब नेटो और यूक्रेन ने मिलकर एक कंप्रिहेंसिव असिस्टेंसिया अब ये तो सिर्फ यूक्रेन के लिए 335 बिलियन डॉलर्स के वेपंस दिए गए थे अब नेटो क्या है और रशिया उससे क्यों चिड़ताला छ का भी बच्चा बता देगा ये 30 कंट्रीज का यूएस लेड मिलिट्री ग्रुप है यूक्रेन को नेटो में ऐड करके रशिया के आसपास अपनी प्रेजेंस बढ़ाना चाहता है उसे कंटेन और कंट्रोल करना चाहता है और इसीलिए वो यूक्रेन को एड दे रहा था बेसिकली आप इस मैप को देखकर समझ सकते हो कि नेटो फोर्सेस के यहां आते ही रशिया का इतना लंबा बॉर्डर डायरेक्टली एक्सपोज हो जाता है अब ऐसे में रशिया ने ओपनली कई बार इतना लंबा बॉर्डर डायरेक्टली एक्सपोज हो जाता है अब ऐसे में रशिया ने ओपनली कई बार यूक्रेन के साथ-साथ डायरेक्टली यूरोप से भी रिक्वेस्ट की थी कि वो यूक्रेन को नेटो में इंक्लूड ना करें बट वेस्ट नहीं माना नेटो ने इसके बावजूद यूक्रेन को ग्रुप जवाइन करने की ऑफर दे दी लेकिन फिर यहां पर सवाल यह आता है कि यूक्रेन क्यों खुद ही अपने पांव पे कुल्हाड़ी मार रहा है वो इस जंग के लिए राजी कैसे हुआ वेल एक सिंपल से टीवी सीरीज के वजह से बिल्कुल भी एजाज ट नहीं कर रहा हूं यूरोपियन यूनियन और यूएसए ने तो यूक्रेन को सिर्फ जंग के दरवाजे तक ले जाकर छोड़ा था एक टिप प पॉइंट तक लेकर गए थे बट यूक्रेन की ही एक टीवी सीरीज ने यूक्रेन को सीधा जंग लड़ने 2015 में यूक्रेन में एक टीवी सीरीज रिलीज हुई थी जिसका नाम था सर्वेट ऑफ द पीपल इस टीवी सीरीज की स्टोरी लाइन बेसिकली एक आइडियल प्रेसिडेंट कैसे होना चाहिए उस पर बेस थी अब ये सीरीज इतनी फेमस हो गई कि अगले ही साल 2016 में इस सीरीज के कॉमेडियन एक्टर सेम सवेंट ऑफ द पीपल नाम से एक पार्टी स्टार्ट करते हैं और प्रेसिडेंशियल इलेक्शन लड़ते हैं और जीत भी जाते हैं और जानते हो वो कॉमेडियन एक्टर कौन है लोडो मेर जेलेंस्की अब जेलेंस्की भी प्रो वेस्ट ही थे शुरूआत में उन्होंने तो पावर में आते ही डायरेक्टली नेटो जॉइन करने की बात कर दी जबकि यूक्रेन नेटो के आर्टिकल फव के हिसाब से एलिजिबल ही नहीं था बट वेस्ट के झांसे में आकर उन्होंने अपने देश को वॉर में ढकेल दिया बेसिकली आर्टिकल फव के हिसाब से कोई भी कंट्री जिनका बॉर्डर डिस्प्यूट चल रहा है वो नेटो मेंबरशिप के लिए एलिजिबल ही नहीं हो सकता फिर भी यूएस ने अपने वेस्टेड इंटरेस्ट के लिए यूक्रेन को नेटो जॉइन करने के लिए फोर्स किया अब गाइज यहां पर रशिया से ना हमें एक बहुत ही इंपॉर्टेट सीख मिलती है हम इंडियंस को भी और हमारे देश इंडिया को भी और सिर्फ यही इंपॉर्टेट मैसेज मैं इस टॉपिक के जरिए आप तक पहुंचाना चाहता हूं अल्टीमेटली ये सब दुनिया भर के चर्चे तो चलते रहेंगे लेकिन अंत में पर्सनल लेवल पर हमें इससे कुछ प्रैक्टिकल सीख मिलनी चाहिए कुछ ऐसे आइडियाज जो हमारी लाइफ और हमारे देश को अपलिफ्ट कर सकते हैं रशिया ने यहां पर बिल्कुल सिंपल दाव खेला उसने अपनी उन काबिलियत और विशेषताओं को परखा जो उसमें यूनिक और एक्सक्लूसिव थी और क्योंकि रशिया की यह यूनिक काबिलियत दुनिया भर में रेयर थी इसकी वैल्यू ऑटोमेटिक प्रीमियम हो गई और फिर रशिया ने उन्हें एक्सपोर्ट करके दूसरे देशों में अपनी मोनोपोली बना दी यानी अपने पर उनकी डिपेंडेंसी क्रिएट करवा दी और फिर दूसरे देशों को मजबूरन उसके सामने सो कॉल्ड सैंक्शंस लगाने के बाद भी झुकना ही पड़ा दूध देने वाली भैंस के लाथ भी आखिर सहने पड़ते हैं ऐसी ही सिमिलर सीख हमें नेदर जैंड्स जैसे एक छोटी कंट्री भी देती है यह कंट्री इतनी छोटी है पर सेमीकंडक्टर चिप्श बनाने वाली मशीनस मैन्युफैक्चर करने में इसकी मोनोपोली है मतलब अगर इसने वो मशीन सप्लाई करना बंद कर दिया तो दुनिया में इस्तेमाल हो रहे सारे इलेक्ट्रॉनिक मशीनस राइट फ्रॉम आपका मोबाइल फोन से लेकर लॉन्च हो रहे सेटेलाइट्स तक सब कुछ बंद हो जाएगा तो अब जरा सोचो क्या कोई कंट्री डायरेक्टली इससे लड़ना चाहेगा या उसे दबाना चाहेगा और हमारी लाइफ में भी ऐसा ही कुछ होता है। एवरीथिंग स्टार्टस फ्रॉम आइडेंटिफिकेशन ऑन इट अपने वीकनेसेस पर कंपीट करने की कोशिश करना हारने वाली स्ट्रेटेजी है अगर आप एक स्टूडेंट हो और डिसाइड कर रहे हो कि मैं अपने करियर में क्या करूं वेल अपनी यूनिक विशेषता अपनी खूबियां पहचानो जो सिर्फ और सिर्फ आप में है और जिसका बाहरी दुनिया में डिमांड और वैल्यू है जैसे रशियन ऑयल या वीट का था उसे और निखो और कंपटीशन को डोमिनेट करो अगर आप जॉब करते हो 10 काम करने की जरूरत नहीं है सबसे ज्यादा इंपैक्ट क्रिएट करने वाले तीन या चार काम पहचानो जो आपकी खूबियों और काबिलियत से अलाइन होते हैं और उसमें आग लगा दो अगर आप एक बिजनेस ओनर हो आपके कंपनी की आपके प्रोडक्ट की यूनिक काबिलियत को पहचानो जिसकी कस्टमर मार्केट में खोज कर रहा है और उस पर अपनी स्ट्रांग ब्रांडिंग और सर्विसिंग डिवेलप करो अपने डिफरेंशिएबल के लिए उस गेम में कंपीट करना इंपॉसिबल है क्योंकि वो उस यूनिक मिट्टी का बना ही नहीं है और आप अपने मार्केट में मोनोपोली हासिल कर लोगे हम सब कभी ना कभी यह भूल जाते हैं कि हमें अपने स्ट्रेंथ पर खेलना है वीकनेस नेस पर नहीं और हमारी लाइफ में स्ट्रगल कम और ग्रोथ डेवलपमेंट और हैप्पीनेस बढ़ जाती है मुझे आज ये देखकर काफी खुशी होती है कि हमारे देश के लेवल पर भी यही सोच आज इंप्लीमेंट की जा रही है जैसे हमारी वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट पॉलिसी वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट यह प्रयोग मेक इन इंडिया का ही एक प्रकार से मजबूत विस्तार है जो हर भारतीय डिस्ट्रिक्ट में एक छुपे हुए हीरे प्रोडक्ट को खोज निकाल रही है उसकी ब्रांडिंग करवाकर उसे दूसरे देशों में तक एक्सपोर्ट करवा रही है और इकॉनमी को इससे भारी बूस्ट मिल रहा है वंस अगेन सेम प्रिंसिपल अपने स्ट्रेंथ पर खेलो फर्स्ट स्टेप टुवर्ड्स सक्सेस ऑलवेज स्टार्टस विथ रिकॉग्नाइजिंग योर हिडन टू पोटेंशियल वंस अगेन सेम प्रिंसिपल अपने स्ट्रेंथ पर
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