नमस्कार 216 अगस्त 1945 वर्ल्ड वॉर
टू खत्म होने की कगार पर थी जापान ने हथियार डालकर सरेंडर कर दिया था और जर्मनी में हिटलर ने खुदकुशी करके अपनी जान ले ली थी जर्मनी और जापान दोनों ही देश बुरी तरीके से इस वॉर को हार चूके थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस जो 1943 से ही मदद ले रहे थे जापान से इंडियन नेशनल आर्मी लीड करते वक्त अब वो नए तरीकों की तलाश में थे कि कैसे आजादी की लड़ाई को बरकरार रखा जा सके हालांकि ये प्लेन्स लिखित रूप से स्पष्ट नहीं थे लेकिन उनके साथी जानते थे
कि नेताजी अपना बेस अब सोविएट यूनियन में शिफ्ट करना चाहते हैं
नका प्लान था कि पहले वो टोक्यो जाकर जापानीज़ सरकार को धन्यवाद करेंगे और वहाँ से वो सोविएट की ओर रवाना हो जाएंगे इसके पीछे एक कारण बड़ा सिंपल था
सोविएट यूनियन एलाइट
फोर्सस का हिस्सा थे
वो देश जिन्होंने इस वॉर
को जीता लेकिन इसके बावजूद
सोविएट यु एस ए यु के जैसे
एलाइट देशों से
आइडियोलॉजिकल काफी अलग था
अपनी कम्यूनिस्ट विचारधारा
के चलते नेताजी को उम्मीद
थी की वो ब्रिटिश के
खिलाफ़ खड़े होने में
इंडिया की मदद करेंगे
लेकिन प्रॉब्लम ये थी की
जापान अभी अभी इस जंग को
हरा था और दो बड़े
न्यूक्लियर धमाके हिरोशिमा
और ना बसाखी पर हुए
तो नेताजी को टोक्यो ले
जाने के लिए कोई ऑप्शन्ज़
की भरमार नहीं थी
जापानीज़ फोर्सस ने उनके
लिए एक रास्ता ढूंढ कर
निकाला
जो भी कुछ ऐसा वो एक
मृत्यु भीशी किया है
21 हेवी बॉम्बे हवाई जहाज
में बैठेंगे जो वियतनाम
में साइगोन से टेक ऑफ
करेगा
ये एरोप्लेन एक स्टॉप
करेगा ताइवान के हाइटो में
फिर वहाँ से ताई होकू
फोरमोसा जाएगा जो की आज के
दिन का ताइपाए है
ताइवान के देश में फिर एक
आखरी स्टॉप करेगा वो
चाइना के मंचूरिया की
टेरिटरी में फाइनली टोक्यो
अपनी फाइनल डेस्टिनेशन
डेस्टिनेशन पहुंचने से
पहले उन दिनों मंचूरिया
जापान का एक पपेट स्टेट
हुआ करता था मंचुको नाम से
लेकिन नाइन्थ अगस्त से
सोविएत् यूनियन ने इस जगह
पर इन्वैट करना शुरू कर
दिया था
नेताजी इस बात को जानते थे
इसलिए उन्होंने सोचा कि
क्यों ना सोविएट्स से अपना
पहला कॅाटाक्ट इस मनचूको
में ही एस्टाब्लिश किया
जाए
इसी आइटनरी को फॉलो करते
हुए नेताजी 17 अगस्त की
सुबह बैंकाक से निकलते हैं
अपने आई एन ए ग्रुप के साथ
और करीब 10:00 बजे सायगोन
वियतनाम में पहुंचते हैं
क्नॉइस
यहाँ पहुँचकर इन्हें बताया
जाता है कि इस हेवी बॉम्बे
हवाई जहाज में तो सिर्फ दो
लोगों के बैठने की जगह
खाली बची तो नेताजी अपनी
इंडियन नेशनल आर्मी के सभी
साथियों के साथ इस सफर में
आगे नहीं जा सकते
सिर्फ किसी एक और को चुनना
पड़ेगा
वो डिसैड करते है की वो
अपने साथ ही हबीबुर रहमान
के साथ इस जर्नी को पूरा
करेंगे
17 अगस्त को करीब शाम के
5:00 बजे ये प्लेन सा टेक
ऑफ करता है और अभी 12-13
लोग प्लेन में बैठे थे
नेताजी और कर्नल
हबीबुर्रहमान के अलावा
बाकी सभी लोग जापानीज़
मिलिट्री के थे या
जापानीज़ क्रू मेंबर्स थे?
क्योंकि अंधेरा जल्दी होने
वाला था इसलिए ये प्लेन एक
अन स्केडुयूलड स्टॉप करता
है
पर जो की आज के दिन का
दानांग शहर है
सभी पैसेंजर्स रात को एक
होटल में रुकते है और क्रू
काम करता है
इस प्लेन को हल्का बनाने
पर बहुत से हथियार
अमिनतिओन् और मशीन गन्स इस
प्लेन से उतारे गए ताकि इस
प्लेन को हल्का बनाया जा
सके
लंबे सफर के लिए अगली सुबह
18 अगस्त को प्लेन सुबह के
5:00 बजे जल्दी उड़ान भरता
है और क्योंकि अब प्लेन
हल्का हो चुका था
पायलट अपने अगले
स्केडुयूलड स्टॉप हाय तो
को स्किप कर देते हैं
अगला स्टॉप था ताई होकू
यानी ताइपा का शहर जहाँ पर
प्लेन को लगभग दोपहर के
12:00 बजे किया जाता
हैं
2 घंटे के स्टॉक में सभी
पैसेंजर्स लंच करते हैं और
प्लेन को रिफ्यूल किया
जाता है
प्लेन की टेस्टिंग के
दौरान एक समय पर पायलट और
इंजीनियर को दिखा की प्लेन
के लेफ्ट इंजन में कुछ
खराब है
ज्यादा जांच पड़ताल नहीं
करी
उन्होंने सोचा ठीक ही होगा
क्योंकि नया नया इंजन
लगाया है इस प्लेन 18
अगस्त को दोपहर के 2:00
बजे ये प्लेन दोबारा से
उड़ान भर लेता है
इस बारी प्लेन के उड़ान
भरने के कुछ मिनट बाद ही
एक बड़े धमाके की आवाज सभी
को सुनाई दी थी
मानो जैसे प्लेन का इंजन
फट गया हो
प्लेन कंट्रोल से बाहर
होने लगता है और कुछ ही
सेकंड बाद जाकर क्रॅश करके
जाता है
प्लेन में जो लोग आगे बैठे
थे पायलट को पायलट और एक
जापानीज़ जनरल वो इमी
जेटली मारे जाते है जनरल
के पीछे लेफ्ट विंग के पास
प्लेन के पेट्रोल टैंक के
बगल में
बैठे थे नेताजी और उनके
पीछे बैठे थे हबीबुर रहमान
दोनों ही क्योंकि पीछे की
ओर थे वो मिरकलिस्टली
स्क्रैश के एकदम बाद प्लेन
से जिंदा बाहर निकलते हैं
लेकिन नेताजी गैसौलिन में
लथपथ होकर बड़ी जख्मी हालत
में थे
प्लेन का पीछे का दरवाजा
खुल नहीं रहा था तो ये आगे
की एंट्रेंस से बाहर
निकलते हैं और ऐसा करने का
मतलब था कि आग की लपटों के
बीच में से गुजरना हो और
नेताजी क्योंकि पेट्रोल से
पूरा भीग चूके थे
इन्स्टंटली जल जाते हैं
हबीबुर रहमान इन्हें बचाने
की पूरी कोशिश करते हैं
कपड़े निकालकर आग बुझाते
हैं और 15 मिनट के अंदर
अंदर नेताजी को पास के नैन
मौन मिलिट्री हॉस्पिटल में
ले जाते हैं
लेकिन अनफारचुनेटली नेताजी
की जान बचाने में या
अनसक्सेसफुल रहते हैं
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का
देहांत इस हॉस्पिटल में
कुछ ही घंटों बाद होता है
इस प्लेन क्रैश की ये
दर्दनाक कहानी आज भी कुछ
लोगों के लिए सिर्फ एक
कहानी ही है
कुछ लोगों का मानना है कि
नेताजी अक्चवली मैं सोविएट
यूनियन पहुँच गए थे और
वहाँ इन्हें बंदी बनाया
गया
पूरी जिंदगी टॉर्चर किया
गया
दूसरी तरफ कुछ लोग मानते
हैं कि ये प्लेन क्रॅश
सिर्फ एक दिखावा था
नेताजी असल में जिंदा थे
और वो अपना रूप बदल कर
वापस इंडिया लौटे थे
अयोध्या में वो एक बाबा बन
गए और बाकी की जिंदगी एक
बाबा के रूप में बिताई
गुमनामी बाबा क्या सच है
यहाँ पर?
आखिर नेताजी की डेथ इतनी
बड़ी मिस्ट्री क्यों है?
इस पर जो इन्वेस्टिगेशन
करी गई उनमे क्या पाया गया?
आइए समझते हैं आज के इस
वीडियो में
ये वीडियो मेरा सेकंड
पार्ट है नेताजी सुभाष
चंद्र बोस की दास्तां पर
अगर आपने पहला वीडियो नहीं
देखा ये वाला इसका लिंक
नीचे डिस्क्रिप्षन में मिल
जाएगा
अब कौन सी कंसपेरसी थ्योरी
यहाँ पर सच है कौन सी नहीं
इसकी बात करने से पहले आइए
इतिहास के पन्नों पर नजर
डालते हैं
एक ऐसे इंसिडेंट पर जीसको
हमेशा नज़रअन्दाज़ कर दिया
जाता है
नेताजी की मृत्यु की बात
करते समय मैं बात कर रहा
हूँ आई एन ए ट्रायल्स की
जो की दिल्ली के रेड
फ़ोर्ट पर हुए फिफ्थ नवंबर
1945 को नेताजी के देहांत
के करीब ढ़ाई महीने बाद की
बात है
ये ज्यादातर इंडियन नेशनल
आर्मी के ट्रूफ्स को
ब्रिटिश के द्वारा कैप्चर
कर लिया जाता है
लगभग 25,000 आई एन ए के
सोल्डर्स ब्रिटिश हुकूमत
की गिरफ्तारी में थे
25,000 में से इन तीन
जवानों पर रेड फ़ोर्ट में
इस दिन एक खुलेआम मुकदमा
शुरू हो रहा था
अंग्रेज सरकार ने फैसला
किया कि दुनिया की नजरों
में आजाद हिंद फौज को जगन
अपराधी साबित करने के लिए
लाल किले में एक मुकदमा
चलाया जाए
ये तीन सोल्जर्स बड़े खास
थे
कैप्टन शाहनवाज खान
लेफ्टिनेंट गुरबक्श सिंह
ढिल्लन और कैप्टन प्रेम
कुमार सहगल
पिछले कुछ सालों में जो भी
संघर्ष नेता जी ने किया था
ब्रिटिश एम्पायर ने बड़ी
ही चालाकी से
सभी खबरों को दबाकर रखा था
आई एन ए के बारे में
इसका मतलब ये था की
ज्यादातर इंडियन्स जानते
नहीं थे
अक्चवली में की नेताजी ने
क्या क्या किया था यहाँ पर?
लेकिन जब आई एन ए के
ट्रूफ्स को कैप्चर कर लिया
जाता है ब्रिटिश के द्वारा
तो ब्रिटिश सरकार डिसैड
करती है की इन ट्रायल्स को
हैली पब्लिसाइज़ तरीके से
जनता के सामने दिखाया जाए
देश भर में इन तीन
सोल्जर्स के ट्रायल की खबर
फैलती है
ब्रिटिश सरकार का ये सोचना
था क्योंकि नेताजी की आई
एन ए ने यहाँ पर हमला बोला
था
ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़
यानी की देश के खिलाफ़ तो
लोग इन्हें देशद्रोही की
तरह समझेंगे
जनता का जो सपोर्ट है वो
ब्रिटिश के साथ ज्यादा
होगा क्योंकि ब्रिटिश
सरकार ने यहाँ पर सरकार को
देश के साथ रिलेट कर दिया
है
लेकिन ये प्लान पूरी तरीके
से बेक फाइर कर जाता है
इसका एग्ज़ैक्ट्ली उल्टा
ही होता है
ज्यादातर लोगों को दिखता
है कि जिन लोगों को सरकार
देशद्रोही कह रही है वो तो
सबसे बड़े देश भक्त है
अक्चवली में लोग हजारों की
संख्या में सड़कों पर उतर
जाते हैं
प्रोटेस्ट करने आम जनता
जोरों से अपनी आवाज उठाती
है
इन लोगों के खिलाफ़ कोई
सजा नहीं होनी चाहिए
प्रोटेस्टर्स की भीड़ जल्द
ही रेड फ़ोर्ट में भी
पहुँच जाती है
दिलचस्प बात ये थी कि ये
तीन ऑफिसर्स तीन धर्मों से
बिलौंग करते थे
सहगल हिंदू खान
मुसलमान और ढिल्लन एक सिख
इंडिया की तीन मेजर
रिलीजियस कम्यूनिटीज़, वही
रिलीजियस हारमनी
जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस
की इंडियन नेशनल आर्मी में
देखने को मिलती थी
अब पूरे देश के सामने लाल
किले पर मौजूद थी
ये तीन सोल्डर्स रिलीजियस
और नेशनल यूनिटी का एक
सिम्बल बन गए
इन तीनों के खिलाफ़ मुकदमा
चलाया गया
बीजिंग वॉर अगेंस्ट दी
नेशन का यानी सेक्शन 1 टु
1 ऑफ़ आई पी सी
साथ ही साथ मर्डर और मर्डर
का भी चार्ज लगाया गया
लेकिन अपने फ्रीडम फाइटर
को गद्दार साबित करने की
इस कोशिश को देख कर लोगों
में गुस्सा और जागा
कोलकाता जो शहर था जहाँ
नेता जी ने अपनी जिंदगी के
कई साल गुजारे थे
वहाँ पर सबसे भारी
प्रोटेस्ट देखे गए
23 नवंबर को पुलिस की
फाइरिंग में करीब 100
प्रोटेस्टर्स मारे भी जाते
हैं
पूरे समय में कांग्रेस
पार्टी क्या कर रही थी?
कांग्रेस एक आई ए एन ए
डिफेन्स कमिटी की स्थापना
करती है
जवाहरलाल नेहरू की सलाह पर
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
ने एक उच्चस्तरीय बचाव
समिति का गठन किया
वो डिसैड करते हैं कि हम
लीगल तरीके से इन तीन
सोल्जर्स को डिफेंड करेंगे
कोर्ट में ये जो डिफेन्स
कमिटी बनाई जाती है
इसमें होते हैं तेज बहादुर
सप्रू, बुल्ला, भाई देसाई
आसिफ अली और जवाहरलाल
नेहरू
खुद सही सुना आपने?
जवाहर लाल नेहरू जो ब्य
प्रोफेशनल तो एक लॉयर हुआ
करते थे
काफी सालों से
उन्होंने लॉयर का गाउन
पहना नहीं था
लेकिन अब इस मुकाम पर वो
वापस से लॉयर के रूप में
कोर्ट में पेश होते हैं
क्नॉइस
ब्रिटिश कोर्ट के सामने
आर्गुमेंट उठाते हैं कि जो
प्रोविशनल सरकार आजाद हिंद
की नेताजी ने बनाई थी और
ये जो इंडियन नेशनल आर्मी
है
इंटरनेशनल लॉ के तहत इसमें
कुछ भी गलत नहीं
क्योंकि आजाद हिंद नाम की
यहाँ पर एक स्टेट बनाई गई
थी, जिसकी खुद की आर्मी थी
जो रही थी और ब्रिटिश
सरकार अपने ये कानून और
रेगुलेशंस आजाद हिंद और आई
एन ए पर नहीं लगा सकती
ऑब्वियस्ली क्योंकि
ब्रिटिश की ही सरकार थी
ब्रिटिश के ही कोट्स थे तो
ये लीगल फाइट सक्सेसफुल
नहीं होती
थर्ड जनुअरी 1946 को जब को
र्ट का फैसला सुनाया जाता
है तो खान सहगल और ढिल्लन
तीनों को ट्रांसपोर्टेशन
फॉर लाइफ की सजा दी जाती
है
बेसिक्ली एक एक्साइल का
सेन्टेन्स की?
इन्हें दूर भेजा जाएगा और
वहाँ से कभी लौटेंगे नहीं
लेकिन जनता की ताकत के
सामने ना कोई कोर्ट
ना कोई सरकार टिक सकती है
लोगों में गुस्सा इतना
ज्यादा था
प्रोटेस्ट इतने भारी थे की
सरकार को पब्लिक प्रेशर
में आकर इन सोल्डर्स को
रिहा करना पड़ा
ब्रिटिश हुकूमत हैरान हो
गई है
देख कर की ब्रिटिश इंडियन
आर्मी के सोल्डर्स खुद
वहाँ पर रिवॉल्ट करने लग
रहे थे
उन्होंने मना कर दिया
सोल्जर्स ने लड़ने से की
हम ब्रिटिश की तरफ से नहीं
लड़ेंगे
इसी की वजह से बाद में
जाकर एक रॉयल इंडियन नेवी
म्यूटिनी देखने को मिलती
है
वो अपने आप में ही पूरी एक
कहानी है
उसकी बात किसी और वीडियो
में कर सकते है
अभी यहाँ पर होता क्या है
की नाई इन्हें ट्रायल्स की
वजह से नेताजी की कहानी
पूरे देश में फैल चुकी थी
एक ऐसे इंसान की दास्तां
जिन्होंने इतनी कमाल की
चीजें करी थी अपनी जिंदगी
में बार बार फेस बदल कर
कैसे उन्होंने अलग अलग
देशों को चकमा दिया?
एक से दूसरे देश गए
वो एक आर्मी बनाने के लिए
कभी सब मरीन में बैठे तो
कभी हवाई जहाज में उड़े
ये कहानी किसी सुपर हीरो
की कहानी से कम नहीं थी
इसी रीसन से कुछ लोगों को
और कुछ आई एन ए सोल्डर्स
को भी डाउट होने लगा कि
नेताजी एक प्लेन क्रॅश में
मारे गए
ऐसा हो नहीं सकता
उन्होंने इतनी बार अपने
फेस बदले हैं
इतनी बार अलग अलग लोगों को
चखवा दिया है
पक्का अपनी डेथ को भी वो
यहाँ पर फेक कर रहे होंगे
शायद उन्होंने एक बॉडी डबल
का इस्तेमाल किया हो इस
प्लेन क्रॅश में
क्योंकि एलाइट पावर्स
वर्ल्ड वॉर टू को जीत चुकी
थी और अपने आप को कैप्चर
होने से बचाने के लिए
उन्होंने ऐसा किया
ऊपर से ना कोई डेथ
सर्टिफिकेट था
ना कोई फोटो थी
डेड बॉडी की सिर्फ हबीबुर
रहमान ने जो कहा था हम
उनकी बात सुन रहे थे तो
लोगों के मन में शक होना
जायज था
इवन महात्मा गाँधी जी ने
जब ये खबर सुनी
नेता जी के प्लेन क्रैश की
उन्होंने भी मानने से
इनकार कर दिया कि यहाँ
नेताजी का देहान्त हुआ
होगा
सिर्फ हबीबुर रहमान के साथ
पर्सनली बात करने के बाद
ही गाँधीजी ने अपना मन
बदला लेकिन देश के बहुत से
लोगों में शक बना रहा और
वो इंतजार करते रहे
1 दिन नेताजी वापस आएँगे
और जनता के सामने अपना
असली चेहरा दिखाएंगे
लोग तो खुद नेताजी के साथी
ही थे
एक सुभाषवादी जनता करके एक
ऑर्गेनाइजेशन बनाई जाती है
इन कुछ साथियों के द्वारा
जो मानने से ही इनकार कर
देते हैं
स्लेन क्रॅश थ्योरी में
इनकी क्रोनोलॉजी के अनुसार
नेताजी हिंदुस्तान आकर एक
सन्यासी बन गए थे
उन्होंने 1948 में गाँधीजी
के क्रमेशन को भी अटेंड
किया था
अपना भेस बदलकर और उसके
बाद वो 1956 से 1959 के
बीच तक योगी बन कर बरेली
के एक शिव मंदिर में रहते
थे
यहाँ पर वो जड़ी बूटियों
के एक्स्पर्ट बने और
ट्यूबरकुलोसिस का इलाज तक
भी उन्होंने खोज डाला
1959 में फिर नेताजी जाकर
बंगाल के जल पैगोडी शहर
में एक आश्रम खोलते हैं
शॉलमारी आश्रम और खुद को
श्रीमत सरानंद जी कहकर
बुलवाने लगते हैं
इस पूरी कन्सिपरसी थियरी
को शॉलमरी बाबा थियरी करके
बुलाया जाता है
ये आश्रम अक्चवली मैं
एग्ज़िस्ट करता था और ये
बाबा भी असली में थे
1960 में कंसपेरसी थ्योरी
इतनी ज्यादा फैली की
शॉलमारी बाबा को खुद खड़े
होकर बोलना पड़ा की वो
नेताजी नहीं है लेकिन उनके
फॉलोवर्स फिर भी कहते रहे
नहीं आप हो नेताजी आप हो
नेताजी आपको पता नहीं है
लेकिन आप हो
एक दूसरी कन्सिपरसी थियरी
कुछ और नेताजी के
एसोसिएट्स के द्वारा बनाई
गई की अक्चवली में वो
प्लेन कर गया था और
वो सोविएट यूनियन पहुंचे
थे
लेकिन सोविएट में नेताजी
को रशियांस के द्वारा
कैप्चर कर लिया जाता है और
फिर कॉन्सन्ट्रेशन कैंपस
में टॉर्चर किया जाता है
उनके साथ इस चीज़ को
रुस्सियन प्रधानमंत्री
नेहरू के खिलाफ़ एक लेवरेज
के तौर पर इस्तेमाल करते
हैं
इन फॅक्ट ना सिर्फ नेहरू
को बल्कि प्रधानमंत्री
इंदिरा गाँधी को भी
वो धमकी देते हैं
इस चीज़ को लेकर रुस्सियस
कहते हैं कि अगर इंडिया
सोविएत् की साइड नहीं लेगा
तो वो नेताजी को जेल से
रिहा कर देंगे और पूरी खबर
फैला देंगे
ये पूरी कन्सिपी थियरी इस
गलतफहमी पर आधारित है कि
नेताजी प्रधानमंत्री नेहरू
के लिए खतरा थे और
कांग्रेस पार्टी के खिलाफ़
थे
और अगर वो वापस इंडिया आ
जाते तो वो प्रधानमंत्री
बनते
नेहरू जी की जगह इस
कंसपेरसी थियरी का कोई सर
पैर नहीं है
क्योंकि जैसा मैंने पिछले
वीडियो में बताया था
नेताजी अक्चवली में नेहरू
जी को बहुत अडमाइर करते थे
यही कारण की अपनी एक आजाद
हिंद ब्रिगेड का नाम
उन्होंने जवाहरलाल नेहरू
पर रखा था और यही म्यूचुअल
अडमिरेशन जवाहर लाल नेहरू
ने नेताजी की ओर भी दिखाया
था
उनके देहांत के बाद उन्हें
एक नेशनल हीरो कहा था
इसके अलावा कुछ और भी उठ
पटांग थियरी है जैसे की
नेताजी चाइना चले गए थे
वहाँ पर कुछ ऑपरेशन लीड कर
रहे थे
उस सब की बात नहीं करेंगे
आइए डिस्कॅस करते हैं जो
सबसे पॉपुलर थियरी है इनको
लेकर ये है गुमनामी बाबा
की थ्योरी हार्वर्ड
प्रोफेसर सुगाता बोस
जो की ग्रैंड नेफ्यू है
नेताजी के
इन्होंने अपनी 2011 की
किताब हिज़ मजिस्टिस ओपिन
एंड सुभाष चन्द्र बोस एंड
इंडिया स्ट्रगल अगेंस्ट
एम्पायर में मेंशन किया था
की साल 2002 में
ज्यूडिशियरी ने इनसे कहा
की वो एक मिलीलीटर खून
अपना डोनेट करे ताकि किसी
गुमनामी बाबा के साथ उनका
डी एन ए मैच करके देखा जा
सके
ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ लोग
क्लेम कर रहे थे की कोई एक
गुमनामी बाबा ही नेताजी है
और ये 2002 की बात है
57 इयर्स हो चूके थे
नेताजी के ध्यान को इनका
परिवार बड़ा हैरान था
देख कर की सरकारी
इन्स्टिट्यूशन भी इतनी
थ्योरी को प्रोमोट कर रहा
है
लेकिन फिर भी इन्होंने
अपना खून डोनेट कर दिया
ऑफ़ कोर्स जो एविडन्स वहाँ
पर निकला वो नेगेटिव था
कोई डी एन ए मैच नहीं था
लेकिन फिर भी गुमनामी बाबा
की थ्योरी आज तक चर्चा में
है
सोशल मीडिया पर कुछ लोग
हैं जिन्होंने इस थ्योरी
को वापस उठाया है और बार
बार व्यूस के लिए
कन्सिपेर्स फैलातें हैं
गुमनामी बाबा की थ्योरी
अक्चवली मैं रशिया में
शुरू होती है कि वो
स्टालिन के अंडर टॉप
सीक्रेट कॉवर्ट ऑपरेशन
किया करते थे
वो बिल्कुल एक वॅन मैन
आर्मी की तरह थे
कोरियन वॉर जो हुई थी 1952
की
उसमें उन्होंने एशियन
लिबरेशन आर्मी को लीड किया
था
इसके बाद 1962 की वॉर में
वो चाइनीज़ आर्मी को लीड
कर रहे थे
इंडिया के खिलाफ़ वो
इंडिया को वेस्टर्न
इन्फ्लुयेन्स से हटाना
चाहते थे
लेकिन क्योंकि इंडियन्स ने
गुमनामी बाबा को पहचाना
नहीं तो उन्होंने आर्मी को
रिट्रीट करने को बोल दिया
कहानियों खत्म नहीं होती
इसके बाद गुमनामी बाबा
1969 में यु एस ए के
खिलाफ़ वियतनाम में लड़े
1971 में बांग्लादेश को
आजाद कराने में इनका एक
बड़ा योगदान था
मुक्ति वाहिनी को भी ये
गाइड कर रहे थे और फाइनली
सब कुछ छोड़कर वो इंडिया
में एक साधु बन जाते हैं
स्पेसिफिकल्ली कहा जाए तो
अयोध्या में रहने वाले एक
साथ हो जिनका देहांत होता
है
16 सितम्बर 1985 में इस
गुमनामी बाबा की डेथ का ना
तो कोई फोटो था ना ही कोई
ऑफिसियल डेथ सर्टिफिकेट था
लेकिन इनकी डेथ के करीब 44
दिन बाद एक लोकल अख़बार
में खबर छपती है
इस अखबार में खबर छपी थी
गुमनामी बाबा ही नेताजी
इस अखबार का नाम नए लोक था
सीनियर जर्नलिस्ट शीतला
सिंह जो उस वक्त एक और
लोकल अखबार में काम किया
करते थे
जन मोर्चा नाम से उन्होंने
इस कहानी को नवंबर 1985
में इन्वेस्टिगेट किया
इन्वेस्टिगेशन करने के लिए
वो नेताजी के एक बड़े
करीबी आदमी से मिलने गए
कोलकाता में मोहन रॉय जो
की
आई एन ए के फार्मर
इन्टेलिजेन्स ऑफिसर थे
उनका कहना था की वो हर साल
भर साल एक नए साधु
एक नए मिस्टीरियस इंसान से
मिलते हैं
नेताजी की तलाश में इसी
कोशिश में वो कोहिमा से
पंजाब तक चले गए
फैज़ाबाद से अयोध्या तक गए
लेकिन किसी भी बाबा में
नेताजी सुभाष चंद्र बोस
नहीं मिले
यहाँ पर आपको लग रहा होगा
की यार एक दो ही बाबा की
बात हुई थी यहाँ पर ये
बाकी और सारे बाबास कहाँ
से आ गए अक्चवली मैं
दोस्तों ये जो बाबा का अगल
है, इसके मल्टीप्ल वर्शन है
अलग अलग लोग कोई कर्नाटक
में क्लेम करता है कि ये
वाले बाबा नेता जी हैं
कोई यु पी में कहता हैं ये
वाले बाबा नेता जी हैं
कोई एम पी में कहता हैं ये
वाले बाबा नेता जी हैं
जन मोर्चा में जब ये खबर
छपी इस गुमनामी बाबा की
थ्योरी को लेकर इंडिया में
एक लड़ाई सी गई
उत्तर प्रदेश के कई लोकल
अखबारों में और खबरें छपने
लगी की गुमनामी बाबा ऐसे
थे गुमनामी बाबा वैसे थे
सबके सब क्लेम करने लगे की
वो नेताजी ही थे
कुछ लोग कहने लगे कि उनको
सालों से पता था कि
गुमनामी बाबा ही नेताजी
हैं पर उन्होंने क्योंकि
एक ओथ ले रखी थी कि वो
किसी को बता नहीं सकते
इसके बारे में
इसलिए वो चुप बड़ी आयरनिक
चीज़ क्योंकि अक्चवली मैं
उन्होंने कोई कसम खाई होती
की वो किसी को बताएंगे
नहीं तो अब क्यों बता रहे
थे इस पूरी थियरी के बारे
में?
थोड़ा लॉजिकली सोच कर देखो
तो कोई सेंस नहीं बनता
आखिर नेताजी सुभाष चंद्र
बोस का क्या मोटिवेशन होगा
अपनी ऐडेंटिटी छुपाने का?
अगर वो सही में गुमनामी
बाबा थे तो वो क्यों फेस
बदल कर अपनी बाकी की
जिंदगी बिताएंगे?
एक बाबा बनकर?
कुछ सोशल मीडिया पर लोग
क्लेम करते हैं कि ये किया
जाता था इंडिया की
गेओपोलिटिकल सेंस में
पोज़ीशन प्रोटेक्ट करने के
लिए
अगर नेताजी पब्लिकली सामने
आ जाते जनता के तो ये
इंडिया के लिए अच्छा नहीं
होता
पता नहीं क्या अजीब हो
गरीब लॉजिक ये लोग लेकर
आते हैं
मुझे तो लगता है बस अटेंशन
और व्यूस के लिए कुछ लोग
ऐसी कन्सिप्रेसी थियरी
फैलातें हैं एक और
आर्गुमेंट गुमनामी बाबा की
थ्योरी के फेवर में उठाया
जाता है कि ये बाबा बड़ी
ही फ्लुएंट इंग्लिश बोला
करते थे
बड़े कॉन्फिडेंस के साथ
गेओपोलिटिकल मुद्दों पर
बात करते थे
इसलिए ये नेताजी ही हो
सकते हैं
लेकिन आज ज़रा अपने आसपास
देखो कितने ऐसे बाबा हैं
जो बड़े कॉन्फिडेंस के साथ
इंग्लिश में बात करते हैं
गेओपोलिटिकल चीजों पर
चर्चा करते हैं
क्या कभी ये कहोगे की वो
बाबा नहीं हैं?
वो अल्बर्ट आइंस्टाइन फेस
बदल कर बाबा बने बैठे हैं?
मैं सिर्फ मजाक मजाक में
इन थिएरीज का काउंटर नहीं
करना चाहता
मैं आपको प्रूफ के साथ
दिखाना चाहता हूँ कि यहाँ
पर सच क्या है क्योंकि
पिछले 70 सालों में ढेर
सारी इन्वेस्टिगेशन करी गई
हैं
इस चीज़ को लेकर बहुत सी
एनक्विरिएस बिठाई गई है और
ढेर सारी रिपोर्ट्स निकली
है
आइए एक एक करके इन
रिपोर्ट्स को समझते हैं और
जानने की कोशिश करते हैं
सच क्या है?
पहली है रिपोर्ट साल 1946
की ये ब्रिटिश के द्वारा
की गई इन्वेस्टिगेशन थी
लॉर्ड माउंटबेटन के अंडर
इन्टेलिजेन्स ऑफिसर कर्नल
जॉन फिगेस को काम दिया गया
कि वो नेताजी सुभाष चंद्र
बोस की डेथ को
इन्वेस्टिगेट करें फिग्िस
ने अपनी रिपोर्ट 25 जुलाई
1946 को सबमिट करी
काफी दशकों तक ये रिपोर्ट
कॉन्फिडेंशियल बनी रही
लेकिन आज के दिन ये पब्लिक
के सामने अवेलेबल है
चार चीजें कन्फर्म करती है
ये रिपोर्ट पहला की एक
प्लेन क्रॅश हुआ था
18 अगस्त 1945 को तय होकू
एअरपोर्ट के पास दूसरा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस इस
प्लेन में बैठे थे
तीसरा नेताजी का देहांत
पास के मिलिट्री हॉस्पिटल
में सेम ही दिन हुआ और
चौथा उन्हें क्रैमेट किया
गया
तय होकू में और बाद में
उनके एशिस को टोक्यो भेजा
गया
इस रिपोर्ट में सबसे
इम्पोर्टेन्ट टेस्टिमन ली
गई थी
एक जापानीज़ डॉक्टर सुरूटा
की जो की
नाम ऑन हॉस्पिटल में उस
दिन काम कर रहे थे
वही हॉस्पिटल जहाँ पर
नेताजी को क्रॅश के बाद ले
जाया गया
इस रिपोर्ट में लिखा है कि
नेताजी ने डॉक्टर से
इंग्लिश में पूछा था कि
क्या वो इनके साथ रात भर
रहेंगे?
लेकिन शाम के 7:00 बजे के
करीब वो एक रिलैक्स से सफर
करते हैं और डॉक्टर दोबारा
से उन्हें कैंपर इन्जेक्शन
देते हैं
लेकिन उसके बावजूद भी उनका
देहांत शॉर्टली बात हो
जाता
वैसे यहाँ अगर आप दोस्तों
इंडियन हिस्टरी और वर्ल्ड
हिस्टरी के किस्सों के
बारे में डीटेल में जानना
चाहते हैं तो कुक को ऐफ़
एम पर कई सारी ऑडियो बुक्स
मौजूद हैं
जैसे कि ये वाली हीरोशिमा
और नागा साकी के ऊपर या ये
वाली स्टालिन के ऊपर
इंडियन फ्रीडम फाइटर्स के
ऊपर भी कई सारी ऑडियो
बुक्स मौजूद हैं
जैसे की ये वाली महात्मा
गाँधी जी के ऊपर कोको ऐफ़
एम जनरलली भी एक बहुत
बढ़िया प्लेटफार्म है
ऑडियो लर्निंग के लिए
क्योंकि ढेर सारी ऑडियो
बुक्स यहाँ पर आपको सुनने
को मिलती है
ऑलमोस्ट हर तरह के टॉपिक
पर चाहे आप हिस्टरी पढ़ना
चाहे जियोग्राफी
चाहे पॉलिटिक्स चाहे
रिलिजन या फिक्शन ही क्यों
ना हो, सब कुछ ऑडियो के
फॉर्म में आपको मिलेगा
अगर आपने कुक को ऐफ़ एम को
अभी तक जॉइन नहीं किया है
तो नीचे डिस्क्रिप्षन में
एक स्पेशल 50% ऑफ का कूपन
कोड मिलेगा
चेक आउट कर सकते हैं और अब
हम टॉपिक पर वापस आते हैं
इस रहस्य में दूसरी मेजर
एन्क्वारी बिठाई गई साल
1956 में और ये इंडियन
गवर्न में ट की तरफ से
पहली एन्क्वारी थी
शाह नवाज़ कमिटी इस कमिटी
को लीड किया जा रहा था
शाहनवाज़ खान के द्वारा
आई एन ए के ऑफिसर जिन्हें
ट्रायल पर रखा गया था रेड
फ़ोर्ट में लेकिन दो और
नोटबल मेंबर्स थे
इस कमिटी में एस एन मात्र
वेस्ट बेंगाल सरकार के एक
सिविल सर्वेंट और सुरेश
चंद्र बोस नेताजी के बड़े
भाई अप्रैल और जुलाई 1956
के बीच में इस कमिटी ने 67
विट्नेसिस को इंटरव्यू
किया
इंडिया, जापान, थाईलैंड
वियतनाम वो लोग जो क्रॅश
से पहले नेताजी से मिले थे
वो लोग जो क्रॅश को
सर्वाइव कर गए थे
टोटल में सात लोग थे
जिन्होंने इस प्लेन क्रॅश
को सर्वाइव किया और इस
कमिटी ने उनमें से पांच के
साथ जाकर इन पर्सन
इंटरव्यू लिया
साथ ही साथ एक अडिशनल
डॉक्टर डॉक्टर योशिमी जो
सर्जन थे
उस हॉस्पिटल में जिन्होंने
नेताजी को उनके फाइनल
अवर्स में ट्रीट किया था,
उनका भी इंटरव्यू लिया गया
इस पूरी एन्क्वारी के बाद
एक तीन पेज की ड्राफ्ट
रिपोर्ट बनाई जाती है
जिसमे तीन मेजर पॉइंट्स
होते है
पहला 18 अगस्त को तय होकू
में एक प्लेन क्रॅश हुआ था
जहा पर नेताजी का देहांत
हुआ
दूसरा उन्हें वहीं पर
क्रियेट किया गया और तीसरा
उनके एशेज को टोक्यो के
रेनकोजी मंदिर में ले जाया
गया और वहाँ पर वो रखे
लेकिन अजीब चीज़ यहाँ पर
ये थी कि इन तीन में से एक
इंसान कमिटी के नेताजी के
बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस
उन्होंने फाइनल रिपोर्ट पर
साइन करने से मना कर दिया
उन्होंने एक नोट लिखा
जिसमें उन्होंने शाहनवाज
और नेहरू को ब्लामे किया
कि क्रूशियल एविडेन्स को
यहाँ पर विथ होल्ड किया जा
रहा है
उनके अनुसार यह कमिटी
जबरदस्ती प्रूफ करना चाह
रही थी कि नेताजी का ध्यान
इस प्लेन क्रॅश में हुआ था
और 181 पेज की जो फाइनल
रिपोर्ट बनाई गई थी
उसमें अगर दो से ज्यादा
स्टोरीज़ विट्नेसिस की
एक दूसरे से मैच नहीं करती
तो पूरी टेस्टी मनी एक
विटनेस की फॉल्स कंसिडर की
जानी चाहिए
इसी बेसिस पर सुरेश चंद्र
बोस ने कहा कि कोई क्रॅश
नहीं हुआ था
उनके भाई अभी भी जिंदा है
और ये कमिटी की रिपोर्ट
सही नहीं है
फाइनल रिपोर्ट को फिर भी
टू थर्ड कन्सन्सेस के साथ
पब्लिश किया जाता है
थर्ड अगस्त 1956 में और
इंडियन पार्लिया में ट
सितम्बर 1956 में से
एक्सेप्ट करता है
लेकिन सुरेश चंद्र बोस की
तरफ से कोई अलटरनेट थ्योरी
नहीं दी जाती
फेब्रूवेरी 1966 में इस
रिपोर्ट के पब्लिश होने के
10 साल बाद वो कहते हैं की
अगले महीने मार्च में
नेताजी दुनिया के सामने
पेश होंगे
एक बार फिर से लोगों में
बात फैलती है
कहीं नेताजी सही में तो
जिंदा नहीं?
लेकिन मार्च का महीना आ
जाता है और नेताजी कभी
वापस नहीं आते
मिड 1960 ये वही समय था जब
शॉलमारी बाबा की कहानियों
पॉपुलर होने लग रही थी
इसी की वजह से सरकार सोचती
है की एक और एन्क्वारी
होनी चाहिए
इस चीज़ में तो 1970 में
एक खोसला कमिशन बिठाया
जाता है
तीसरी मेजर एन्क्वारी नेता
जी की डेथ में ये खोसला
कमिशन एक वॅन मैन कमिशन था
यानी सिर्फ एक इंसान इसमें
इन्वेस्टिगेट कर रहे थे
जी डी खोसला जो की
रिटायर्ड चीफ जस्टिस थे
पंजाब है
कोर्ट के ये अपनी रिपोर्ट
सबमिट करते हैं
साल 1974 में और इनकी
रिपोर्ट में भी वही चीजें
कही जाती हैं जो शाह नवाज़
कमिटी के द्वारा कही गई थी
बस एक बड़ा डिफरेंस था
इनके द्वारा कन्डक्ट की गई
एन्क्वारी में और शाहनवाज
कमिटी के द्वारा कंडक्ट
करी गई एन्क्वारी में
जस्टिस खोसला अक्चवली मैं
ताइवान तक जा पाते हैं
क्रॅश साइट को देखने के
लिए
लेकिन क्रॅश साइट इन्हें
मिलती नहीं
क्योंकि वो एअरपोर्ट जहाँ
पर ये क्रॅश हुआ था
वो 1970 के बाद से
एग्ज़िस्ट ही नहीं करता था
शाहनवाज कमिटी के मेंबर्स
ने भी कोशिश करी थी ताइवान
तक जाने की
लेकिन उस समय ताइवान के
रिलेशन्स अच्छे नहीं थे
इंडिया के साथ तो पॉसिबल
हो नहीं पाया था
लेकिन इस खोसला कमीशन से
इसके अलावा कुछ और नया
नहीं निकल के आता
जस्टिस खोसला ने तो 224 से
ज्यादा विट्नेसिस से बात
करी थी
चार नेताजी के को पैसेंजर
जो सर्वाइव किए थे
स्क्रॅश को और पांच आइ
विंटनेसेस जिन्होंने
स्क्रॅश को होते हुए देखा
था
इन सबका इंटरव्यू लिया गया
इस समय तक कई कंसपेरसी
थिएरीज ऑलरेडी फैलने लग
चुकी थी और जस्टिस खोसला
ने अपनी रिपोर्ट में तो ये
तक लिख दिया कि
टु व्हाट एक्सटेंट फैंटसी
एंड परवर्सन ऑफ़ ट्रूथ कैन
प्रोसीड
ये कहानियों और कंसपेरसी
थ्योरी जो फैलाई जा रही
हैं, इनके पीछे पोलिटिकल
गोल्स हैं या फिर सिम्पली?
ऐसे लोग जो अटेंशन सीख
करना चाहते हैं वो देख कर
हैरान थे की किस हद तक
झूठी खबरें फैलाई जा सकती
हैं, इसको लेकर हमारी कहानी
का यहाँ पर दी एंड हो जाता
लेकिन जैसा मैंने बताया
लेट 19
एटीएस में गुमनामी बाबा की
कहानियों पॉपुलर होने लगी
तो 19199 में जब बी जे पी
की नई सरकार बनती है तो वो
सरकार डिसैड करती है कि
नहीं एक और इन्वेस्टिगेशन
होनी चाहिए
इस चीज़ में सरकार के
द्वारा एक रिटायर्ड
सुप्रीम कोर्ट के जज मनोज
कुमार मुखर्जी को अपॉइंट
किया जाता है
इसमें इन्वेस्टिगेशन करने
के लिए और कुछ इस तरीके से
फॉर्मेशन होती है
मुखर्जी कमिशन की इस कमिशन
में 100 से ज्यादा फाइलें
को इन्वेस्टिगेट किया जाता
है
जापान जाया जाता है रशिया
ताइवान फिर से जाया जाता
है
गुमनामी बाबा की थ्योरी को
लेकर डी एन ए टेस्ट करवाया
जाता है
वही डी एन ए टेस्ट जिसकी
मैंने वीडियो में पहले बात
करी थी लेकिन ये डी एन ए
टेस्ट फैल साबित होता है
मगर इस रिपोर्ट का जो असली
मकसद था वो ये कोशिश थी कि
किसी तरीके से साबित किया
जाए की ये प्लेन क्रॅश की
थ्योरी गलत है और इस प्लेन
क्रॅश की थ्योरी को गलत
प्रूफ करने के लिए कई
क्लेम्स उठाए जाते हैं
इस मुखर्जी रिपोर्ट में
पहला ये कहा जाता है कि
हबीबुर्रहमान ने कहा कि ये
प्लेन 12,000 फिट से नोस
ड्राइव की और क्रॅश किया
तो ये सवाल उठाया जाता है
कि ऐसे केस में तो किसी का
भी सर्वाइव होना पॉसिबल ही
नहीं होगा
यानी ये पूरी थ्योरी झूठी
है
लेकिन ये 12,000 फिट का
फिगर कहाँ से आया किसी को
नहीं पता क्योंकि हबीबुर
रहमान ने तो कभी ऐसा कहा
ही नहीं और जब तक ये
मुखर्जी कमिशन बना था तब
तक हबीबुर्रहमान का नेचुरल
कैज़िस से देहांत ऑलरेडी
हो चुका था
मुखर्जी कमिशन कन्क्लूड
करता है की ये फ्लाइट टेक
ऑफ जरूर करी थी साइगोन से
लेकिन क्रॅश कभी नहीं करे
इनका कहना था की नेताजी
अभी भी जिंदा होंगे
क्योंकि ना ही कहीं
हॉस्पिटल में
ना ही किसी क्रिमितोरियम
में कोई रिकॉर्ड या
डाक्यूमेंट्स मिले हैं
उनकी डेथ को लेकर यहाँ पर
ये बात सोचने वाली है कि
इस पॉइंट ऑफ़ टाइम तक
ऑलरेडी 55 साल गुजर चूके
थे
इस प्लेन क्रॅश के
इन्सिडेंट्स और ये सब कहने
के बाद भी मुखर्जी कमिशन
ने अपनी कोई अलटरनेट
थ्योरी प्रेसेंट नहीं करी
ये नहीं बताया की प्लेन
क्रॅश नहीं हुआ तो क्या
हुआ होगा?
तीसरा इस रिपोर्ट में कहा
गया की जो मंदिर है जापान
में जहाँ पर नेताजी के
एशेज है
वो अक्चवली मैं नेताजी के
एशेज नहीं बल्कि एक
जैपनीज़ सोल्जर के एशेज
लेकिन उस मंदिर के चीफ
प्रीस्ट ने जब कहा की डी
एन ए टेस्ट करवालो देखलो
तो जस्टिस मुखर्जी ने
टेस्ट नहीं करवाया
एक और झूठा क्लेम इस
मुखर्जी कमिशन की रिपोर्ट
में उठाया गया था की
नेताजी की डेथ के बारे में
कोई अखबार में कुछ छपा
क्यों नहीं था?
जब वो प्लेन क्रॅश हुआ तो
ये आर्गुमेंट था इस
रिपोर्ट का
लेकिन अक्चवली में दो लोकल
ताइवान के अखबार थे जहा पर
ये खबर जरूर छपी थी
ताइवान दीदी और ताइवान
नीची नीची शिम्बुन इन
दोनों अखबारों में ना
सिर्फ प्लेन क्रॅश की खबर
छपी थी
बल्कि नेताजी की डेथ के
बारे में भी मेंशन किया
गया था
ऊपर से हिस्टोरियन
लियोनार्ड ए गार्डन जो
बायोग्राफर रहे है बोस के
उन्होंने कहा की इस
रिपोर्ट में उनकी जो
किताबों का रिसोर्स मेन्शन
किया गया है, वो गलत तरीके
से मेंशन किया गया है
किताबों का नाम मिस टाइटल
है या मिसलिस्टेड है?
फाइनली मुखर्जी कमिशन की
रिपोर्ट 6 साल बाद निकल कर
आती है
एयठत नवंबर 2 थाउज़न्ड
फाइव को और मई 2006 में जब
इस रिपोर्ट को इंडियन
पार्लियामेंट में सबमिट
किया जाता है तो
पार्लियामेंट इस रिपोर्ट
को रिजेक्ट कर देता है
रिजेक्शन का रीसन ऑब्वियस
था जो चीजें मैंने आपको
अभी बताई
लेकिन इस समय तक कांग्रेस
की यु पी ए सरकार पावर में
आ चुकी थी
जो अफवाहें थी कन्स्पिरेसी
की
वो कंटिन्यू रहने वाली थी
क्योंकि लोगों का कहना था
जो इस कंसपेरिस्थ्युरो को
प्रोपेगेट कर रहे थे की
देखो अब तो कांग्रेस सरकार
आ गई ऑब्वियस्ली इस
रिपोर्ट को रिजेक्ट ही
किया जाएगा
लेकिन मुखर्जी कमिशन की
रिपोर्ट को अगर आप सच भी
मान लो ये कहो कि प्लेन
क्रॅश की थ्योरी गलत है
दूसरी प्रॉब्लम ये आती है
की कोई अलटरनेट
एक्सप्लनेशन यहाँ पर दी ही
नहीं गई
अगर प्लेन क्रॅश नहीं हुआ
तो क्या हुआ?
मुखर्जी कमिशन ने कुछ भी
नहीं कहा
इसके रिगार्डिंग लोगों की
अगली उम्मीद थी
क्लासिफाइड फाइल्स बहुत सी
फाइलें हैं पुरानी जिन्हें
इंडियन सरकार के द्वारा
क्लासिक रखा गया है
जनता के सामने प्रेसेंट
नहीं किया गया तो जरूर इन
फाइल में कुछ सच छुपा हो
2016 तक मोदी सरकार पावर
में आ चुकी थी तो 304
फाइलें को डिक्लसिफाइ किया
जाता है
सरकार के द्वारा
और ये चीज़ पार्लियामेंट
में अनाउंस की जाती है
सेकंड मार्च 2016 को ये
आखिरी फाइल थी जो पब्लिक
के सामने पेश नहीं की गई
थी
इससे पिछली सरकारों ने भी
बहुत सी फाइल को
डिक्लसिफाइ किया था
जैसे की पहली
हेच डी देवघौड़ा की सरकार
19197 में 990 फाइल को
डिक्लसिफ़े किया गया
उसके बाद मनमोहन सिंह जी
की सरकार ने 2012 में करीब
1000 फाइल को डिक्लसिफाइ
किया था
तीन अलग अलग समय पर इन
फाइल को क्यों डिक्लसिफाइ
किया गया?
इसके पीछे कारण ये है की
गोडा की सरकार ने
मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स की
फाइल को मोस्टली
डिक्लिसिफ़ाइ किया था
मनमोहन सिंह जी की सरकार
ने मोस्टली होम एंड
डिफेन्स मिनिस्ट्री की
फाइल को डिक्लसिफाइ किया
था और 2016 में मोदी जी की
सरकार ने पी एम ओह
मिनिस्ट्री ऑफ़ एक्सटर्नल
अफेयर्स और कैबिनेट
सेक्रेटरी की फाइल्स को
डिक्लसिफाइ किया था
ये जो आखिरी
डिक्लिसिफिकेशन करी गई थी
फाइल ओह की इसमें एक फाइल
मौजूद थी
इंडियन इंडिपेंडेन्स लीग
की भी इंडियन इंडिपेंडेन्स
लीग ने अपनी एक अलग
इन्वेस्टिगेशन करी थी
नेताजी की डेथ में 1953
में एक रिपोर्ट सबमिट हुई
थी
इसको लेकर इस रिपोर्ट में
एक शॉकिंग चीज़ जरूर सामने
आती है
इस रिपोर्ट में ये कहा गया
है की प्लेन क्रॅश थ्योरी
सच थी, लेकिन ये भी कहा गया
है की इस प्लेन क्रॅश को
करवाया गया था
जैपनीज़ सरकार के एक
फॅक्शन के द्वारा वीडियो
के शुरू में मैंने बताया
था की कैसे नेताजी बैंकाक
से सागौन गए थे
अपने छह आई एन ए के
साथियों के द्वारा लेकिन
साइगोन के प्लेन में
उन्हें कहा गया कि सिर्फ
दो लोग ही बैठ सकते हैं
सिर्फ दो लोगों की ही जगह
है
इस रिपोर्ट के अनुसार यह
एक कैलकुलेटेड प्लान था
जापानी सरकार में कुछ लोग
थे जो इस प्लेन को क्रॅश
करवाना चाहते थे
जीस साल मोदी सरकार ने इन
फाइलें को डिक्लसिफाइ किया
सरकार ने बाकी देशों को भी
बोला कि आप भी अपनी अपनी
फाइलें डीकलासिफाइ कर लो
जो भी सुभाष चंद्र बोस से
रिलेटेड है तो रिस्पांस
में ऑस्ट्रिया, जर्मनी,
रशिया यु के और यु एस ए
इन सारे देशों ने अपनी सभी
फाइलें नेताजी से रिलेटेड
डोमेन पे डाल दी
इन सभी ने अपनी फाइल को
डिक्लसिफाइ कर दी
लेकिन एक बहुत बड़ा लेकिन
है यहाँ पर जापान इकलौता
देश था जिसने सारी सीक्रेट
फाइल को डिक्लसिफाइ नहीं
किया
पांच सीक्रेट फाइलें थी
जापान के पास दो को जरूर
डिक्लेसिफाइ कर दिया
जिसमें वही चीज़ लिखी गई
थी, प्लेन क्रॅश हुआ था
वही सेम डिस्क्रिप्षन करी
गई थी
लेकिन आज के दिन तक तीन
ऐसी क्लासिफाइड फाइल्स हैं
जापान के पास जिन्हें
जापान ने पब्लिक के सामने
रिलीज़ नहीं किया
क्या इसका मतलब ये हैं की
सही में इस प्लेन क्रॅश को
कुछ जापानीज़ लोगों के
द्वारा करवाया गया था?
बिना और सबूत के मैं यहाँ
कुछ कंक्लूषन ड्रॉ नहीं
करना चाहूंगा
ये चीज़ हमें तभी पता लग
सकती हैं जब और सबूत मिले
इस चीज़ को लेकर
लेकिन इतना जरूर कहूंगा की
चीजें सस्पिश लगती हैं
जीस तरीके से ये तीन फाइल
को डिक्लसिफाइ नहीं किया
गया हैं, लेकिन चाहे ये
चीज़ सच हो या ना हो
एक बात जरूर तय
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का
ध्यान उस दिन उस प्लेन
क्रॅश में ही हुआ था
ये चीज़ हम फॉर शुर कह
सकते है
नेताजी के ग्रैंड नेफ्यू
चंद्र कुमार बोस जो की एक
बी जे पी मेंबर रहे थे
सितम्बर 2023 तक उन्होंने
कहा की उनका परिवार
रिग्रेट करता है की सालो
तक ये इन कंसपेरिटी में
बिलीव करते रहे
ये कड़वा सच है जो हमें
एक्सेप्ट करना पड़ेगा
ये सच की नेताजी का देहांत
उस एयर क्रॅश में ही हुआ
था
उन्होंने ये भी कहा कि ये
जो अफवाहें उठाई जाती हैं
कंसपेरसी थ्योरीज फैलाई
जाती हैं
ये नेताजी के लिए एक
इन्सल्ट हैं
हम इन सभी कंसपेरसी
थ्योरीज को रिजेक्ट करना
चाहिए और इन लोगों को
इग्नोर करना चाहिए
जो एस सी ऐफ़ वै उठाते हैं
तो 100% अक्यूरेसी से नहीं
कह सकते की प्लेन क्रॅश
आखिर क्यों हुआ था?
लेकिन हम ये जरूर जानते
हैं की 1945 और 1974 के
बीच में 10 अलग अलग
इन्वेस्टिगेशन हुई थी
इसको लेकर ब्रिटिश आर्मी
के द्वारा जापान के एलाइट
कमॅंड के द्वारा
ब्रिटिश इंडिया सरकार के
द्वारा जापान की सरकार के
द्वारा ताइवान की सरकार के
द्वारा इंडिपेंडेन्ट
इंडिया की सरकार के द्वारा
और इसके अलावा कई सारे
इंडीविजुअल जर्नलिस्ट ने
भी अपनी इन्वेस्टिगेशन करी
थी और सभी इन्वेस्टिगेशन
एक ही कंक्लूषन पर पहुँचती
है
वही पॉइंट्स जिन्हें
शाहनवाज कमिशन की रिपोर्ट
में मेंशन किया गया था
यही मानना है नेता जी की
इकलौती बेटी अनीता बोस का
भी एंड आई थिंक दी
क्लासिकिफिकेशन ऑफ़ फाइल्स
सर्टेन दी
ऑल्सो मेड अवेलेबल दी
डॉक्यूमेंटेशन व्हिच प्रूफ
दट
ही डाइड
इन फॅक्ट ऑन अगस्त एयठीन्त
1945 इन एन एयर क्रैश ए
कॉन्सिक्वेन्स ऑफ़ एन एयर
क्रश
इन व्हाट इस नाउ ताइवान
अगर नेताजी का खुद का
परिवार इन कंसपेरसी थिएरीज
में विश्वास नहीं करता
इन अफवाहों को
डिसरेस्पेक्टफुल मानता है
तो कम से कम हम तो इतना कर
ही सकते हैं कि फैलाना बंद
कर दे
नेताजी की लेगसी को अगर
हमें सम्मान देना है तो
उनकी वैल्यूज से हमें
सीखना चाहिए
उनकी कहानी से हमें
इंस्पिरेशन लेनी चाहिए ना
कि ये कॉन्स्पिरेसी फैलानी
चाहिए
वीडियो इनफॉर्मेटिव लगा तो
इस वीडियो का पार्ट वॅन
यहाँ पर क्लिक करके देख
सकते हैं
जहाँ पर मैंने नेताजी की
पूरी दास्तां सुनाई है
मिलते हैं अगले वीडियो में
बहुत बहुत धन्यवाद
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